अंग्रेजी व्यावसायिक और हिन्दी भावनात्मक रूप से देश को जोड़ती है : डाॅ बीरबल झा

पटना। 24 जनवरी, 2025 आज कम्युनिकेशन स्किल के क्षेत्र में देश की प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान ब्रिटिश लिंग्वा के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस और पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के 101वें जन्मदिन के अवसर पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया।
भारतीय शिक्षा व्यवस्था विषय पर आयोजित सेमिनार का आयोजन ब्रिटिश लिंग्वा के बोरिंग रोड सेन्टर पर किया गया था। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित करते हुए ब्रिटिश लिंग्वा के संस्थापक और अंग्रेजी के प्रख्यात विद्वान डाक्टर बीरबल झा ने कहा कि समय के साथ-साथ शिक्षा के स्तर में काफी प्रगति हुई है परन्तु अभी बहुत सुधार की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि एक समय था जब गुरूकुल परम्परा के तहत छात्र शिक्षक के घर पर वर्षों रहकर शिक्षा ग्रहण किया करते थे। पूर्व में शिक्षक समय की आवश्यकतानुसार छात्रों को जीवन जीने का मूल मंत्र दिया करते थे अब उसे वर्तमान समय की जरूरत और मार्केट की मांग के अनुसार परिवर्तित करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति में पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ कौशल विकास पर भी जोर दिया जा रहा है। डाक्टर झा ने कहा कि हमारी कौशल विकास की पद्धति और स्तर को अंतरराष्ट्रीय डिमांड के अनुसार नये रूप देने की आवश्यकता है। इस मामले में उन्होंने अंग्रेजी भाषा में प्रवीणता के साथ-साथ अन्य विदेशी भाषाई शिक्षा पर भी जोर देने की जरूरत पर बल दिया।
उन्होंने भारत की भाषाई विविधता की चर्चा करते हुए कहा कि अंग्रेजी जहां व्यावसायिक रूप से देश को जोड़ती है वहीं हिन्दी भावनात्मक एकता का एहसास कराती है।
उन्होंने कहा कि बिहार जहां आज भी अंग्रेजी सरकारी उपेक्षा की शिकार है और मैट्रिक बोर्ड में भी अंग्रेजी में पास करना भी जरूरी नहीं है उसे समयानुसार सुधारने की आवश्यकता है।