E-News Bihar

Latest Online Breaking News

झाँसी की रानी’ पर लिखा ही नहीं, उनकी ही तरह लड़ी भी सुभद्रा कुमारी चौहान

जयंती पर लेखिका ज्योति झा की विशेष पुस्तक ‘वियोंड स्पेक्ट्रम’ के आवरण का हुआ लोकार्पण

पटना, १६ अगस्त। “बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सूनी कहानी थी/ ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी!” इन पंक्तियों से देश के मानस को झकझोर देने वाली कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान राष्ट्रभक्ति का गान गाने वाली एक तेजस्विनी लेखिका ही नहीं, देश की स्वतंत्रता के लिए लड़नेवाली एक वीरांगना भी थी। उन्होंने ‘झाँसी की रानी’ पर लिखा ही नहीं, उनकी ही तरह अंग्रेजों से लोहा भी लेती रही। आंदोलन में अनेकों बार जेल गयी। ४३ वर्ष की अपनी अल्पायु में जो लिख दिया, वह साहित्य का इतिहास बन गया।


यह बातें बुधवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती समारोह और कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी द्वारा आहूत ‘असहयोग-आंदोलन’ में, जिस प्रकार बिहार के बाबू श्रीकृष्ण सिंह प्रथम सत्याग्रही माने जाते हैं, उसी प्रकार १९२२ में गिरफ़्तार हुई सुभद्रा जी प्रथम महिला सत्याग्रही मानी जाती हैं। ‘काव्य-सेनानी’ की लोक-उपाधि से विभूषित इस वीरांगना कवयित्री ने स्वतंत्रता का अलख जगाने हेतु, अपनी कविताओं का ही नहीं, नुक्कड़ सभाओं का भी प्रयोग करती थीं। महिलाओं की जागृति में उनका अवदान अत्यंत मूल्यवान रहा।
समारोह के मुख्य अतिथि और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी विकास वैभव ने, विशेष बच्चों के उपचार और पुनर्वास के लिए सृजन कर रही लेखिका ज्योति झा की बहु-प्रतीक्षित विशेष-पुस्तक ‘बियोंड द स्पेक्ट्रम: पोज़िटिव पैरेंटिंग’ के आवरण का लोकार्पण किया। अपना विचार व्यक्त करते हुए, श्री वैभव ने कहा कि ज्योति झा एक अच्छी रचनाकार हैं। इनकी सृजन की क्षमता से भी मैं अवगत हूँ। इनकी पुस्तक ‘आनंदी’ को पढ़ने का अवसर मिला। इनमे एक समर्थ लेखिका के गुण हैं। इनकी आगामी पुस्तक, जिसके आवरण का आज लोकार्पण किया गया है, निश्चित रूप से अपना ध्येय पूरा करने में सफल होगी और पाठक समुदाय इसका स्वागत करेंगे।
पुस्तक पर अपनी बात रखती हुई लेखिका ने कहा कि उनकी पुस्तक’बियोंड स्पेक्ट्रम: पोज़िटिव पैरेंटिंग’, उन विशेष बच्चों पर केंद्रित है, जो’औटिज़्म’ की समस्या से ग्रस्त हैं। ऐसे विशेष बच्चों के माता-पिता यदि सकारात्मक रहें तो उनके अंतर में स्थित अन्य विशेष गुणों का विकास संभव है, जो उन्हें आत्म-निर्भर बना सकता है।
सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, मदर्स टच, देवघर की संस्थापक-निदेशक डा रूपाश्री, पत्रकार और द लिटररी मिरर के मुख्य संपादक नीतीश राज, कवयित्री डा अर्चना त्रिपाठी, लेट्स इंस्पायर बिहार के मुख्य समन्वयक मोहन कुमार झा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र की वाणी-वंदना से हुआ। भारतीय प्रशासनिक सेवा की पूर्व अधिकारी और वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, डा पुष्पा जमुआर, जय प्रकाश पुजारी, कृष्णा मणिश्री, डा सुषमा कुमारी, ई अशोक कुमार, कुमार अनुपम, सदानन्द प्रसाद, अनुपमा सिंह, अश्विनी कुमार कविराज, अनुपमा सिंह, अर्जुन प्रसाद सिंह, प्रभात धवन तथा डा मनोज गोवर्द्धन पुरी ने अपनी काव्य-रचनाओं से आयोजन को रस से सिक्त किया। मंच का संचालन कवि ब्रह्मानंद पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।
सम्मेलन के अर्थ मंत्री प्रो सुशील कुमार झा, विजय कुमार दास, राजेश कुमार मिश्र, अप्सरा रणधीर मिश्र, आदर्श वैभव, अमीरनाथ शर्मा,आशीष रंजन, कनुप्रिया राज, शत्रुघ्न प्रसाद, डा आशुतोष कुमार आदि बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें 

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button 

[responsive-slider id=1466]
error: Content is protected !!