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आज 7 मार्च का पञ्चाङ्ग साथ ही देखें होली टिप्स

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌤️ *दिनांक – 07 मार्च 2023*
🌤️ *दिन – मंगलवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2079*
🌤️ *शक संवत -1944*
🌤️ *अयन – उत्तरायण*
🌤️ *ऋतु – वसंत ॠतु*
🌤️ *मास – फाल्गुन*
🌤️ *पक्ष – शुक्ल*
🌤️ *तिथि – पूर्णिमा शाम 06:09 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
🌤️ *नक्षत्र – पूर्वाफाल्गुनी 08 मार्च रात्रि 02:22 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
*🌤️योग – धृति रात्रि 09:15 तक तत्पश्चात शूल*
🌤️ *राहुकाल – शाम 03:47 से शाम 05:16 तक*
*🌞 सूर्योदय- 06:55*
🌦️ *सूर्यास्त – 18:43*
👉 *दिशाशूल – उत्तर दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – फाल्गुनी पूर्णिमा,धुलेंडी,धूलिवंदन*
🔥 *विशेष – पूर्णिमा और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞

🌷 *केमिकल रंग छूटाने के लिए* 🌷
🔵 *यदि किसीने आप पर रासायनिक रंग लगा दिया हो तो तुरंत ही बेसन, आटा, दूध, हल्दी व् तेल के मिश्रण से बना उबटन रंगे हुए अंगों पर लगाकर रंग को धो डालना चाहिए | यदि उबटन लगाने से पूर्व उस स्थान को नींबू से रगड़कर साफ़ कर लिया जाय तो रंग छूटने में और अधिक सुगमता होती है |*

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *होली टिप्स* 🌷
🔥 *होली के बाद खजूर नहीं खाना चाहिए, ये पचने में भारी होते है, इन दिनों में सर्दियों का जमा हुआ कफ पिघलता है और जठराग्नि कम करता है. इसलिए इन दिनों में हल्का भोजन करें, धाणी और चना खाएं, जिससे जमा हुआ कफ निकल जाये ।*
🍂 *इन दिनों में पलाश/केसुडे/गेंदे के फूलों के रंग से होली खेलने से शरीर के ७ धातु संतुलन में रहते हैं, इनसे होली खेलने से चमड़ी पर एक layer बन जाती है जो धूप की तीखी किरणों से रक्षा करती है।*
🙏🏻 *पूज्य बापूजी*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *होली के बाद खान-पान में सावधानी* 🌷
🔥 *होली के बाद नीम की २० से २५ कोमल पते २-३ काली मिर्च के साथ खूब चबा-चबाकर खानी चाहिये । यह प्रयोग २०-२५ दिन करने से वर्ष भर चर्म रोग , रक्त विकार और ज्वर आदि रोगों से रक्षा होती है तथा रोग प्रतिकारक शक्ति बनी रहती है । इसके अलावा कड़वे नीम के फूलों का रस सप्ताह या १५ दिन तक पीने से भी त्वचा रोग व मलेरिया से बचाव होता है । सप्ताह भर या १५ दिन तक बिना नमक का भोजन करने से आयु और प्रसन्नता में बढ़ोतरी होती है।*

📖 *वैदिक पंचांग संपादक ~ अंजनी निलेश ठक्कर*
📒 *वैदिक पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~*

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