E-News Bihar

Latest Online Breaking News

आज 2 मार्च का पञ्चाङ्ग और जानें पलाश का महत्व

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक – 02 मार्च 2023*
🌤️ *दिन – गुरुवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2079*
🌤️ *शक संवत -1944*
🌤️ *अयन – उत्तरायण*
🌤️ *ऋतु – वसंत ॠतु*
🌤️ *मास – फाल्गुन*
🌤️ *पक्ष – शुक्ल*
🌤️ *तिथि – एकादशी पूर्णरात्रि तक*
🌤️ *नक्षत्र – आर्द्रा दोपहर 12:43 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*🌤️योग – आयुष्मान शाम 05:51 तक तत्पश्चात सौभाग्य*
🌤️ *राहुकाल – दोपहर 02:19 से शाम 03:47 तक*
*🌞 सूर्योदय- 06:59*
🌦️ *सूर्यास्त – 18:42*
👉 *दिशाशूल – दक्षिण दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – एकादशी वृद्धि तिथि*
🔥 *विशेष – हर एकादशी को विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l https://youtu.be/n28XhkKVKGk राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
💥 *आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
💥 *एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।*
💥 *एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।*
💥 *जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।*
🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞

👉🏻 *गर्भवती महिला को दूध मे इसे डाल के पिला से वीर्यवान बालक का जन्म होगा| इसेकरने पर कालसर्प दोषहोगादूर* ⤵️

🌷 *आमलकी एकादशी* 🌷
➡ *03 मार्च को आमलकी एकादशी (व्रत करके आँवले के वृक्ष के पास रात्रि-जागरण, उसकी १०८ या २८ परिक्रमा करने से सब पापों का नाश व १००० गोदान का फल )*

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *कालसर्प योग से मुक्ति पाने* 🌷
🐍 *कालसर्प दोष बहुत भयंकर माना जाता है | और ये करो… ये करो… इतना खर्चा करो…..इतना जप करो…. कई लोग इनको ठग लेते हैं | फिर भी कालसर्प योग से उनका पीछा नहीं छूटता | लेकिन ज्योतिष के अनुसार उनका कालसर्प योग नहीं रहता जिनके ऊपर केसुड़े (पलाश ) के रंग – होली के रंग का फुवारा लग जाता है | फिर कालसर्प योग से मुक्ति हो गई | कालसर्प योग के भय से पैसा खर्चना नहीं है और अपने को ग्रह दोष है, कालसर्प है ऐसा मानकर डरना नहीं अपने को दुखी करना नहीं है |*

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *ब्रम्हवृक्ष पलाश* 🌷
🍂 *पलाश को हिंदी में ढ़ाक, टेसू, बंगाली में पलाश, मराठी में पळस, गुजराती में केसुडा कहते है | इसके पत्त्तों से बनी पत्तलों पर भोजन करने से चाँदी – पात्र में किये भोजन तुल्य लाभ मिलते हैं |*
🙏🏻 *‘लिंग पुराण’ में आता है कि पलाश की समिधा से ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र द्वारा १० हजार आहुतियाँ दें तो सभी रोगों का शमन होता है |*
🥀 *पलाश के फूल : प्रेमह (मुत्रसंबंधी विकारों) में: पलाश-पुष्प का काढ़ा (५० मि.ली.) मिश्री मिलाकर पिलायें |*
➡ *रतौंधी की प्रारम्भिक अवस्था में : फूलों का रस आँखों में डालने से लाभ होता है | आँखे आने पर (Conjunctivitis) फूलों के रस में शुद्ध शहद मिलाकर आँखों में आँजे |*
🙍🏻‍♂ *वीर्यवान बालक की प्राप्ति : एक पलाश-पुष्प पीसकर, उसे दूध में मिला के गर्भवती माता को रोज पिलाने से बल-वीर्यवान संतान की प्राप्ति होती है |*
🍂 *पलाश के बीज : ३ से ६ ग्राम बीज-चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिन तक दें | चौथे दिन सुबह १० से १५ मि.ली. अरंडी का तेल गर्म दूध में मिलाकर पिलाने से कृमि निकल जायेंगे |*
🍂 *पत्ते : पलाश व बेल के सूखे पत्ते, गाय का घी व मिश्री समभाग मिला के धूप करने से बुद्धि की शुद्धि व वृद्धि होती है |*
➡ *बवासीर में : पलाश के पत्तों की सब्जी घी व तेल में बनाकर दही के साथ खायें |*
🥀 *छाल : नाक, मल-मूत्र मार्ग या योनि द्वारा रक्तस्त्राव होता हो तो छाल का काढ़ा (५० मि.ली.) बनाकर ठंडा होने पर मिश्री मिला के पिलायें |*
🍂 *पलाश का गोंद : पलाश का १ से ३ ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध या आँवला रस के साथ लेने से बल-वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं | यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है |*

📖 *वैदिक पंचांग संपादक ~ अंजनी निलेश ठक्कर*
📒 *वैदिक पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें 

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button 

[responsive-slider id=1466]
error: Content is protected !!