आज 4 जनवरी का पञ्चाङ्ग
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*⛅दिनांक – 04 फरवरी 2023*
*⛅दिन – शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2079*
*⛅शक संवत् – 1944*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – शिशिर*
*⛅मास – माघ*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – चतुर्दशी रात्रि 09:29 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
*⛅नक्षत्र – पुनर्वसु सुबह 09:16 तक तत्पश्चात पुष्य*
*⛅योग – प्रीति दोपहर 01:53 तक तत्पश्चात आयुष्मान*
*⛅राहु काल – सुबह 10:06 से 11:30 तक*
*⛅सूर्योदय – 07:18*
*⛅सूर्यास्त – 06:29*
*⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:36 से 06:27 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:28 से 01:19 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष – चतुर्दशी एवं पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🌹 माघी पूर्णिमा : 05 फरवरी 2023 🌹*
*🌹 ऐसे तो माघ की प्रत्येक तिथि पुण्यपर्व है, तथापि उनमें भी माघी पूर्णिमा का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्त्व है । इस दिन (05 फरवरी) स्नानादि से निवृत्त होकर भगवत्पूजन, श्राद्ध तथा दान करने का विशेष फल है । जो इस दिन भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करता है, वह अश्वमेध यज्ञ का फल पाकर भगवान विष्णु के लोक में प्रतिष्ठित होता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद, जनवरी 2011*
*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*
*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*
*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*
*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*
*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद – मई 2018 से*
*🔸 कमजोर बच्चों के लिए🔸*
*🌹अगर कमजोर बच्चे हैं, तो पपीते के बीज छाया में सुखा दो और कूट के पाउडर बना दो । ५-७ पपीते के बीज का पाउडर और आधा चम्मच नीम का रस, बच्चे को ५ दिन तक पिलाओ । पेट में कृमि या और कोई तकलीफ है, वो दूर होगी ।*
*🌹 -पूज्य बापूजी 🌹*
*🔸कष्ट-बाधा और पितृदोष का उपाय🔸*
*🔹सदगुरु या इष्ट का ध्यान करते हुए निम्नलिखित शिव-गायत्री मंत्र की एक माला सुबह अथवा शाम की संध्याओं में कभी भी कुछ दिन जपने से पितृदोष, कष्ट-बाधा दूर हो जाते हैं तथा पितर भी प्रसन्न होते हैं । जब पितर प्रसन्न होते हैं तो घर में सुख-समृद्धि, वंशवृद्धि व सर्वत्र उन्नति देते हैं ।*
*मंत्र :-*
*ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि । तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ।।*
*(लिंग पुराण, उत्तर भाग :४८.७)*
*- 📖 ऋषि प्रसाद – फरवरी 2022*