देहरादून कैंट विधानसभा सीट पर भाजपा के गढ़ को भेदने की चुनौती
देहरादून से विश्वम्भर मिश्र की आंखों देखी रिपोर्ट
देहरादुन कैंट विधानसभा सीट उत्तराखंड की महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है। जहाँ 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। देहरादून कैंट विधानसभा सीट उत्तराखंड के देहरादून जिले में आती है 2017 में देहरादून कैंट में कुल 56,48 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2017 के चुनाव में भाजपा से हरवंश कपूर ने कांग्रेस के प्रत्याशी सूर्यकांत धस्माना को 16670 मत से हराया था।भाजपा के श्री हरवंश कपूर को41,142 मत मिला था।इनके निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के सूर्यकांत धसमना को 24,472 मत प्राप्त हुआ था।
2012 की विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो भाजपा के हरवंश कपूर का इस सीट पर कब्जा रहा।इनको टोटल मत 29,719 मत मिला था जबकि दूसरे स्थान पर कांग्रेस देवेन्द्र सिंह सेठी को 24,624 वोट मिले था।। 4 नंबर पर बसपा रही बसपा के उमीदवार नूपुर गुप्ता को 1,570 वोट मिला था।
हरवंश कपूर 1985 में पहली बार विधानसभा का चुनाव हारे थे 1985 में कांग्रेस के विधायक हीरा सिंह बिष्ट के खिलाफ चुनाव लड़ा था। लेकिन ओ हार गए थे। 1989 में दोबारा चुनाव में कपूर ने हीरा विष्ट को हरा दिया था । इसके बाद तो कभी भी चुनाव नही हारे थे ।मजजेदार बात तो यह है कि वह लगतार आठ बार विधायक रहे। वर्तमान में हरबंस कपूर देहरादून की कैंट सीट से विधायक थे। 2007 में दूसरे विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड में बीजेपी की पहली निर्वाचित सरकार बनी तो हरवंश विधानसभा अध्यक्ष बने। 2007 के विधानसभा चुनाव काफी रोचक रहा इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस की जबरदस्त टक्कर रही मगर बीजेपी के उमीदवार हरवंश कपूर ने कांग्रेस के प्रत्याशी लाल चन्द्र शर्मा को पटकनी देने में कामयाब हो गए। भाजपा के हरवंश कपूर को 23,856 मत मिला वही कांग्रेस के खाते में 16,823 मत मिला था। 2002 के विधानसभा का चुनाव हुआ तो भाजपा से हरवंश कपूर कांग्रेस से संजय शर्मा आमने सामने थे। मगर यहाँ पर भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था।
देखा जाए तो हरबंस कपूर केवल एक बार विधानसभा चुनाव की हार का सामना इनको करना पड़ा था।इस चुनाव में हीरा सिंह बिष्ट ने उन्हें शिकस्त दी थी। एक तरह से देखा जाए तो उत्तराखंड में भाजपा को स्थापित करने में बहुत बड़ा योगदान रहा है। वरिष्ठ विधायक और जनता के बीच हमेशा जुड़े रहे तभी तो हरवंश कपुर लोगो के बीच लोकप्रिय रहे। वह यूपी सरकार के समय शहरी विकास मंत्री भी रहे हरवंश कपूर के पास कोई ताम झाम नही था वह जीवन भर लाइब्रेट स्कूटर पर ही सवार होकर हर जगह जाते थे ।जनता के बीच लोकप्रिय थे । हर लोगों के दुख सुख में सरीख रहते थे।2007 से 2012 के दौरान भुवन चंद्र खंडूरी के मुख्यमंत्री रहते हुए राज्य विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे थे। वह पहली बार चुनाव हारने के बाद देहरा खास और बाद में देहरादून कैंट विधानसभा सीट से लगतार आठ बार चुनाव जीते।76 साल के हरवंश कपूर ने 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। उनके निधन अभी दिसम्बर में हुआ था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी,पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दुख जताया था वे एक अनुभवी विधायक और प्रशासक रहे।अगर देखा जाए तो कैंट विधानसभा का इतिहास बहुत पुराना रहा है। उत्तराखंड राज्य गठन से पहले यह विधानसभा देहरादून शहर के नाम से जानी जाती थी। इस सीट पर 35 सालों से बीजेपी के हरवंश कपूर विधायक थे ।उन्होंने इस सीट पर 9 बार चुनाव लड़ा उन्होंने केवल पहली दफा 1985 में वह चुनाव हारे थे।
अगर बात की जाए तो इस विधानसभा सीट की तो उन्होंने 1989 में हीरा सिंह बिष्ट,1091 बिनोद रमोला 1993 में दिनेश अग्रवाल 1996 में सुरेंद्र अग्रवाल को हराया था। 2002 में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद हरवंश कपूर ने संजय शर्मा,2007 में लाल चंद शर्मा को हराया। इस सीट पर दबदबा रखने वाले हरवंश कपूर का विधानसभा चुनाव से ठीक पहले निधन हो गया है ।
अब सवाल यह उठता है इस सीट का सिकन्दर कौन होगा जो बड़ा सवाल है।
वही इस विधानसभा सीट पर अब एक लोकप्रिय नेता न रहने के बाद कई मायनों में सियासी समीकरण बदलने की असार नजर आ रही है। पिछले विधानसभा में चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस के टिकट पर सूर्यकांत धस्माना एक बार फिर से इस विधानसभा में सक्रिय है।
इस सीट पर भाजपा के एक और नेता योगेंद्र पुंडीर इस बार पूरे दम खम के साथ नजर आ रहे है। वैसे ये लम्बे समय से जमीनी स्तर पर सक्रिय है। एक बात और संबेदनाओ के चलते क्या कपूर परिवार को टिकट मिल सकता है वैसे अपने पिता के विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उनके बेटे अमित कपूर राजनीति में सक्रिय है।अब देखना यह होगा की बीजेपी कपूर के परिवार उनकी पत्नी उनके बेटे अमित कपूर को टिकट देगी यह वक्त बताएगा। वैसे जनता भी इस बार मन मिजाज भांपने में लगी हुई है।