आज सोमवती अमावस्या है
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वर्ष 2021 एवं संवत 2077 की यह अंतिम सोमवती अमावस्या है. इसके बाद सोमवती अमावस्या पूरे वर्ष में नहीं आयेगी.
*सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है*
सनातन धर्म में उपरोक्त अमावस्या का विशेष महत्व है.
*13 अप्रैल से संवत 2078 आरंभ होने वाला है. इस संवत का राजा मंत्री मंगल है और इस संवत में एक भी सोमवती अमावस्या नहीं है*.
वर्ष 2021 एवं संवत 2077 की यह अंतिम सोमवती अमावस्या है. इसके बाद सोमवती अमावस्या पूरे वर्ष में नहीं आयेगी.
सम्वत 2078 में कोई सोमवती अमावस्या नही है, इसके लिए लगभग सवा वर्ष /(13 महीने का इंतजार) यानि अगले सम्वत 2079 में सोमवती अमावस्या 425 दिन का इंतजार करने के बाद 30 मई 2022 में होगी। उस संवत के राजा शनि देव होंगे.
*सनातन धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है. पुराणों में कहा गया है कि इस दिन सुहागिन महिलाओं को अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए व्रत रखना चाहिए*.
*इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्त्र गोदान का फल प्राप्त होता है*.
*सोमवार मोक्ष के दाता भगवान शिव को समर्पित है. इसलिए इस दिन शंकर भगवान की पूजा करते हुए महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं और पीपल के वृक्ष में शिवजी का वास मानकर उसकी पूजा और परिक्रमा की करती हैं*.
यह भी माना जाता है कि *पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए अमावस्या के सभी दिन श्राद्ध की रस्मों को करने के लिए उपयुक्त है*.
*प्रभु आशुतोष मोक्ष के दाता हैं और उनके दिन सोमवार को अगर अमावश्या आती है और अगर उस दिन पितृ का तर्पण श्रद्धा आदि करते हैं तो प्रभु आशुतोष उस जातक को पितृ ऋण से मुक्त कर देते हैं और प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष पितृ दोष समाप्त हो जाता है.*
*विधि पूर्वक पूजन कर अपने पितृ को प्रसन्न करें. जन्म कुंडली में विद्यमान पितृ ऋण से मुक्ति पाए. साथ ही अपने पूर्वजों से आश्रीवाद प्राप्त करें*.
*अपने पितृ ऋण को समाप्त कर करने के लिए सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान का विशेष महत्व कुंभ के साथ महत्व अत्यधिक माना गया है. पितरों की शांति के लिए किसी भी तीर्थ में जा कर जो दूध काले तिल से पितृ तर्पण करें. साथ ही ब्राह्मण दंपति को भोजन करवाएं. वस्त्र अन्न धन आदि दान करें. पितृ शीघ्र प्रसन्न होंगे* और *सोमवती अमावस्या पर प्रभु आशुतोष को पंचामृत और गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करवाएं इससे आपके घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहेगी*.
*इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। पीपल की पूजा के बाद गरीबों को कुछ दान अवश्य देना चाहिए।*.
*यदि कोई नदी या सरोवर निकट हो तो वहां अवश्य जाएं और प्रभु शंकर, पार्वती और तुलसी जी की भक्तिभाव से पूजा करें.*
*सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी की परिक्रमा करना,ओंकार का जप करना, सूर्य नारायण को अर्घ्य देना अत्यंत फलदायी है*.
मान्यता है कि *सिर्फ तुलसी जी की 108 बार प्रदक्षिणा करने से घर की दरिद्रता भाग जाती है*.