गोसाईं महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम ने लगाया चार चाँद
ग्राम परिक्रमा एवम शोभायात्रा में अपार जनसमूह की भागीदारी संग कलस यात्रा भारत नेपाल सीमा तक अद्भुत रहा
मिथिला के प्रसिद्ध तांत्रिक सन्त परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाइँ महोत्सव उनके गुरु रत्ते झा के ग्राम महिनाथपुर, प्रखंड बासोपट्टी जिला मधुबनी (भारत- नेपाल सीमा पर अवस्थित लब्ध प्रतिष्ठित ग्राम)स्थित गोसाइँ परिसर प्रांगण में जहाँ पूर्व से संस्कृत विद्यालय संचालित है।संत शिरोमणि लक्ष्मीनाथ गोसाइँ द्वारा स्थापित रत्तेस्वर नाथ महादेव जो उनके गुरु के समाधिस्थल पर निर्मित है। शिम्मर फाउंडेशन एवम ग्रामीणों के सहयोग से द्वि दिवसीय महोत्सव मनाया जा रहा है जिसका श्रीगणेश सुबह 5 बजे सरोवर आरती के बाद योग शिविर से हुआ।प्रातः 8 बजे ग्राम परिक्रमा एवम शोभायात्रा में अपार जनसमूह की भागीदारी संग कलस यात्रा भारत नेपाल सीमा तक अद्भुत रहा। सक्रिय रूप से मुखिया श्रवण ठाकुर, नन्द किशोर चौधरी, नवीन झा, पंकज झा, अरुण झा, जयशंकर झा, श्वेताम्बर झा, चिन्मय झा, कवि अमर भारती,बलराम झा, भोला झा, कौशल झा, महादेव मण्डल, बैद्यनाथ झा आदि ग्रामीण लगे रहे। गोसाइँ जी को बाबाजी के नाम से भी लोग जानते हैं। ततपश्चात साहित्यिक चर्चा में बाबाजी के कविता, गीत, संस्कार गीत, श्लोक, पद्य योग एवम अन्य प्रकाशित अप्रकाशित रचनाओं पर चर्चा परिचर्चा हुआ जिसमें संस्कृत विस्वविद्यालय के पूर्व कुलपति विद्याधर मिस्र,प्रो जयशंकर झा, विद्वान प्रो खुशीलाल झा, साहित्य अकादमी के प्रतिनिधि डॉ अशोक अविचल, नवारम्भ प्रकाशन के युवा कवि साहित्य कार अजित आजाद, किशलय कृष्ण तथा आयोजन समिति के तरफ से ई गोपाल झा, अध्यक्ष डॉ रेवती रमन झा, त्रिभुवन विस्वविद्यालय काठमांडू के भूतपूर्व प्राध्यापक रमेश झा, युवा अधिवक्ता संजय झा, हृदय नारायण पाठक आदि ग्रामीणों के सक्रिय सहयोग एवं भागीदारी में संचालन हुआ। पुस्तक बिक्री सह प्रदर्शनी एवम बाबाजी से सम्बंधित चित्र प्रदर्शिनी भी लोगों को आकर्षित कर रहा था।रात में सांस्कृतिक कार्यक्रम एवम भजन संध्या का भी आयोजन हुआ जिसमें पवन नारायण, पिंकी मण्डल, बी के बाबा आदि स्वनामधन्य कलाकारों की उपस्थिति ने सोने पे सुहागा का काम किया।
इस अवसर पर मैथिली अकादमी द्वारा पुरस्कृत लेखक डॉ कमल कांत झा जी लिखित “घटकैती” पुस्तक के नवीन संस्करण एवम समस्तीपुर से प्रकाशित पत्रिका “समन्वय” का विमोचन कार्यक्रम भी हुआ है।अगले दिन अर्थात 1 अप्रैल को पुनः सरोवर आरती एवम योग शिविर प्रातः 5 बजे से सुरु हुआ। 10 बजे से कुटी चर्चा का आयोजन हुआ जिसमें विभिन्न जगहों पर अवस्थित बाबाजी के कुटी से आए प्रतिनिधियों ने अपने अपने ग्राम-क्षेत्र में स्थित कुटी पर विस्तार से चर्चा किया।रात्रि के समापन सत्र में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ।सबसे अहम भूमिका शिम्मर फाउंडेशन के सुमित सुमन जी का रहा जिनके अथक प्रयास से यह कार्यक्रम सफल रहा।सबसे अनोखी बात रही कि पहली बार कोई ऐसा कार्यक्रम हुआ जिसमें सम्पूर्ण मिथिला समाज अर्थात मिथिला क्षेत्र के सभी जिला के लोगो/प्रतिनिधियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। लगता है कि जैसे बाबाजी ने सम्पूर्ण मिथिला को जोड़ने का अद्भुत कार्य कर दिया।भारत-नेपाल के मिथिला क्षेत्र से आये प्रतिनिधियों ने लोगों के मन को बिभोर कर दिया।