E-News Bihar

Latest Online Breaking News

महावीर मन्दिर की पत्रिका “धर्मायण” के रामानन्दाचार्य विशेषांक का डिजिटल लोकार्पण

स्वामी रामानन्दाचार्य की जयन्ती पर रामानन्दाचार्य विशेषांक का लोकार्पण

आज स्वामी रामानन्दाचार्य की जयन्ती है। परम्परानुसार माघ कृष्ण सप्तमी को इनका जन्मदिन माना जाता है। आज से लगभग छह सौ वर्ष पूर्व आचार्य रामानन्द ने सामाजिक भेद-भाव को मिटाने के लिए एक धार्मिक क्रान्ति का आरम्भ किया था। उऩ्होंने घोषणा की थी कि भक्ति के क्षेत्र में जात-पाँत, स्त्री-पुरुष का भेद, उम्र का अंतर- ये सब कोई मायने नहीं रखते हैं। उन्होंने इन सभी भेद-भाव से ऊपर उठकर घोषणा की थी कि- जात-पाँत पूछै नहिं कोय। हरि को भजै सो हरि को होय। यह मूल मन्त्र मध्यकाल की विषम सामाजिक तथा राजनैतिक परिस्थिति में भारतीय समाज को एकजुट करते हुए मजबूत होने का सहारा बना।
इस उपलक्ष्य में आज महावीर मन्दिर से प्रकाशित धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय पत्रिका “धर्मायण” के जगद्गुरु रामानन्दाचार्य विशेषांक का लोकार्पण किया गया है। वर्तमान कोरोना संकट में इसका डिजिटल संस्करण प्रकाशित किया जा रहा है। यह महावीर मन्दिर के वेबसाइट पर आसानी से निःशुल्क पढा जा सकता है तथा डाउनलोड भी किया जा सकता है। https://mahavirmandirpatna.org/dharmayan/dharmayan-vol-103-ramanandacharya-ank/
इस महत्त्वपूर्ण विशेषांक में स्वामी रामानन्द के सम्बन्ध में कुल सात विशेष आलेख हैं, जिनमें आचार्य किशोर कुणाल की कविता भी सम्मिलित है। इस कविता में उन्होंने स्वामी जी के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए सामाजिक भेद-भाव मिटाने के लिए उनकी प्रासंगिकता की विवेचना की है। आइ.पी.एस. पदाधिकारी डा. परेश सक्सेना ने हिन्दू धर्म के रक्षक श्रीरामानन्दाचार्य का ऐतिहासिक मूल्यांकन किया है। उत्तर प्रदेश के विद्वान् डॉ. जितेन्द्रकुमार सिंह ‘संजय’ ने अपने आलेख में भक्ति-आन्दोलन के सामाजिक पक्ष तथा उस परिप्रेक्ष्य में स्वामी रामानन्द के महत्त्व पर जोर दिया है। इसके साथ, दिल्ली के श्री अम्बिकेश कुमार मिश्र एवं गिरीडीह के श्री महेश प्रसाद पाठक ने रामानन्द के महत्त्व तथा उनके बारे फैले विवादों पर प्रकाश डाला है। पटना के दर्शन शास्त्र के विद्वान् डा. सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य ने विशिष्टाद्वैत के सन्दर्भ में रामानन्द-परम्परा को समझाने का प्रयास किया है। इस अंक में माघ महींने सम्बद्ध पर्व-त्योहार जैसे माघ की दुर्गा-पूजा पर पं. मार्कण्डेय शारदेय का आलेख तथा तुसारी-पूजा पर बनारस की श्रीमती रंजू मिश्रा तथा जयनगर की सुश्री शिल्पी कुमारी के भी आलेख प्रकाशित किये गये हैं। सभी शोध-परक आलेख पूरी तरह से सन्दर्भों के साथ है। महावीर मन्दिर के समाचार तथा अन्य सभी स्थायी स्तम्भ दिये गये हैं।
भवनाथ झा
सम्पादक, “धर्मायण”

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें 

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button 

[responsive-slider id=1466]
error: Content is protected !!