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आज का प्रवचन

प्रस्तुति:पंडित रविशंकर मिश्र

ईश्वर टूटी हुई चीज से बहुत सुन्दरता से काम लेता है! बादल टूटते हैं तो बारिश होती है ! मिट्टी टूटती है तो “खेत” बनते हैं ! फसल टूटती है तो अनाज ” बीज” बनता है ! बीज टूटता है तो नया “पौधा” बनता है ! इसलिए जब भी अपने को टूटा हुआ महसूस करें तो समझ लीजिए ईश्वर हमारा उपयोग “बेहतर” करना चाहता है !!—— कुछ हंस कर बोल दो, कुछ हंस कर टाल दो, परेशानियां तो बहुत ही है , कुछ वक्त पर डाल दो !!—– समुद्र मंथन सा लग रहा है यह साल ! इतना विष निकल रहा है तो ” अमृत” भी जरूर निकलेगा !!—— परिवार इंसान की वह सुरक्षा “कवच”है जिसमें रहकर व्यक्ति “सुख-शांति” का अनुभव करता है !!—— इस बार बहुत ठंड पड़ेगी कारण “पैसों” की गरमी सबकी निकल गई है !!—– दीर्घ आयु के लिए ” खुराक” आधी करें , पानी “दुगुना”करें, व्यायाम “तीगुना” करें, हंसना “चौगुना ” करें और भगवान का ध्यान ” सौगुना ” करें !! —– जिनके ” ईश्वर ” से रिश्ते गहरे होते हैं , उनके आज और कल “सुनहरे ” होते हैं !!——– आपका जीवन मंगलमय हो !!🙏🏻

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*श्रवण, कीर्तन, स्मरण से लेकर सख्य और आत्मनिवेदन तक जो भी नवधा अथवा नौ प्रकार की भक्ति है उनमें से एक भी अगर किसी मनुष्य के जीवन में नहीं है तो उस मनुष्य को फिर हिरण्यकशिपु अर्थात् दैत्य ही समझना चाहिए ।।*

*भक्ति जीवन को सुपथ की तरफ अग्रसित करती है यदि किसी मनुष्य के जीवन में भक्ति नहीं है तो फिर निश्चित समझिए वो कुपथगामी है और जो कुपथ गामी है वही तो दैत्य प्रवृत्ति का भी है।।*

*सीधे शब्दों में कहें तो वो ये कि भक्ति और भक्त का निरादर करने वाला मनुष्य ही हिरण्यकशिपु है। जिस मनुष्य के जीवन में भक्ति नहीं उस मनुष्य के जीवन में सदाचरण की शक्ति भी कभी हो ही नहीं सकती।।*

*जहाँ सदाचार है वहाँ सुरत्व और जहाँ दुराचार है वहीं तो असुरत्व है। भक्ति नर को नारायण स्वरूप बनाने की प्रयोगशाला है। भक्ति जीवन को परिष्कृत करके दुनियाँ के बाजार में उसके मोल को बढ़ाकर अनमोल कर देती है।।*

*प्रह्लाद जी ने पिता हिरण्यकशिपु को बहुत समझाना चाहा मगर वे नहीं समझे। शास्त्रों ने और संत पुरूषों ने आज्ञा की है कि अच्छी बातें पुत्र से अथवा एक अबोध बालक से भी मिलती हों तो जरूर स्वीकार करनी चाहिए और बुरी बातें पिता अथवा किसी ज्येष्ठ से भी प्राप्त होती हों तो उसका सदा त्याग ही करना चाहिए।।*

*हिरण्यकशिपु विचार धारा का त्याग ही मनुष्य को प्रह्लाद बनाता है। भक्ति आपकी परीक्षा लेगी। आपको सभी तरह से परखा जायेगा। कभी भूखा रखा जायेगा, कभी प्यासा रखा जायेगा, कभी ठोकरें मिलेंगी तो कभी काँटो की सेज पर सुलाया जायेगा। कभी जहर पीने को मिलेगा तो कभी दहकती अग्नि में प्रवेश कराया जायेगा।।*

*अन्ततोगत्वा जिसने सारी प्रतिकूलताओं, सारी विषमताओं को मुस्कुराकर पार कर दिया वही भक्त राज प्रह्लाद बनकर उस परम प्रभु के आलिंगन और स्नेह का अधिकारी भी बन जाता है।।*

*🙏🏽🌱🌷जय श्री कृष्ण*🌷🌱🙏🏽

“” दूध, दही, छाछ, मक्खन और घी सब एक ही कुल के हैं मगर हर एक की कीमत अलग-अलग है क्योंकि “श्रेष्ठता” जन्म से नहीं बल्कि अपने कर्म,अपनी कला और अपने गुणों से प्राप्त होती है।””
🌹शुभ प्रभात🌹
🌹स्नेहवन्दन🌹

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