सुख प्राप्ति का साधन – पूज्य ब्रहमचारी जी
प्रस्तुति:पण्डित रविशंकर मिश्र
राष्ट्र संत शिरोमणि पूज्य प्रभुदत्त ब्रहमचारी जी
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की अग्रिमं पंक्ति में भी रहे तत्कालीन बडे-बडे नेताओ के साथ जेलो में भी रहे थे।
पूज्य ब्रहमचारी जी राजनीति के प्रकांड पंडित थे। समय-समय पर तत्कालीन सरकार के बडे नेता और राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सरसंघचालक श्री गुरु गोलवकर जी, रज्जू भैया
से लेकर साधारण व्यक्ति तक उनसे अपनी जिज्ञासा का समाधान प्रापत किया करते थे ।
भारतीय जनसंघ का तो जन्म ही पूज्य ब्रहमचारी जी की प्रेरणा से ही हुआ था । एक दिन एक विद्वान पंडित उनके सत्संग के लिए
नईदिल्ली के बसंत गाँव स्थित आश्रम में पहुंचे,
मै स्वंय उन दिनों आर,के, पुरुम सैना मुख्यालय
में था और अक्सर सत्संग का लाभ उठाने पहुंच
जाता था। विद्वान पंडित जी ने प्रश्न किया, महाराज दुनिया में भाग-दौड़ और अर्थ संचय की प्रतिस्पर्धा चल रही है । आखिर लोग इससे
क्या प्रााप्त करना चाहते है? ब्रहमचारी जी ने
उत्तर दिया, सुख चाहते हैं । पंडित जी ने फिर
पूछा, वास्तविक सुख मिलता कैसे है? महाराज
श्री ने कहा धर्म पूर्वक सात्विक जीवन व्यतीत करने से। धर्मानुसार जीवन उसी शासन-काल में संभव है जिसकी बागडोर अपने देश के सदाचारी शासक के हाथों में हो। बाहरी शासन मे न धर्मानुसार जीवन जिया जा सकता है और न ही व्यापार संभव है । पंडित जी ने फिर प्रश्न
पूछा कि महाराज स्वाधीन राष्ट्र का स्वराज्य
अक्षुण्ण कैसे रह सकता है? ब्रहमचारी जी का
उत्तर था, चरित्र बल से। भ्रष्ट और स्वार्थी लोगों के हाथों में यदि सत्ता चली जाती है तो स्वराज्य
सुराज न होकर कुराज हो जाता है और इसका
दुष्परिणाम प्रजा को भोगना पड़ता है। राजा
भी इससे अछूता नहीं रह सकता । अतः लोकतंत्र में तो यह पूरी तरह से जनता की जिम्मेदारी बनती है कि राष्ट्रीय संकल्प के साथ
सब मिलकर अपना शासक सदाचार का पालन करने वाला ही चुनें । जो शासक स्वंय सदाचार का पालन करता हुआ जनता का कल्याण करने मे व्यस्त रहता है उसे दुष्ट लोग परेशान करने का प्रयास तो अवश्य करेंगे परन्तु वह सभी संकटों का सामना करते हुए जनता का कल्याण करते हुए भी प्रगति पथ पर अग्रसर रहता है । उसके लिए संकट भी वरदान साबित होते रहते हैं और यश की प्रापति होती चली जाती है ।
आज के समय में पूज्य प्रभु दत्त ब्रहमचारी जी महाराजा का यह सत्संग परोक्ष नहीं प्रत्यक्ष रूप से सभी के सामने है । महापुरुष भविष्य दृष्टां होते है। जिन शासकों ने भ्रष्ट व स्वार्थ के कारण स्वराज्य मिलने पर भी सुराज न देकर देश को कुराज ही दिया । परन्तु जब जनता ने केन्द्र और राज्य दोनों मे सदाचारी शासक श्री नरेन्द्र मोदी जी व पूज्य योगी आदित्य नाथ जी महाराज के हाथों में बागडोर सौपी है तो भ्रष्ट और स्वार्थी तत्व आये दिन कुचक्रों को रचने मे लगे हैं परन्तु ये दोनों ही इन सभी कुचक्रों को कुचल कर प्रगति पथ पर सही दिशा मे देश व प्रदेश को ले जाने मे सफलता पूर्वक आगे बढ़ाने में लगे हैं । कैप्टेन हरिहर शर्मा मथुरा ।
*पछतावा अतीत नहीं बदल सकता और चिंता भविष्य नहीं सँवार सकती इसलिए वर्तमान का आनंद लेना ही जीवन का सच्चा सुख है *