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साहब बड़े पड़ेसान हैं मथुरा पुर के किसान

ना काटी जा रही रसीद
ना जमा होता लगान
साहब बड़े पड़ेसान हैैं मथुरापुर के किसान

उपरोक्त पंक्तिया किसी कविता से लिये गए गधांश नही होकर बल्कि मथुरापुर मोजे के किसानों की जमीनी हक़ीक़क्त है। दिघवारा राजस्व अंचल का एक ऐसा गांव जो चिरागों के बीच रहते हुए भी बेचिरागी साबित हो गया।सरकारी दस्तवेजो में मोजा के राजस्व एवं उससे जुड़ी जानकारियो विलोपन के कारण यहां बसने एवं इस गांव से सम्बंधित भू रैयतों को खासा परेशानी उठाना पर रहा है।स्थानीय निवाशियो के मुताबिक सरकारी अधिकारियों के द्वारा राजस्व ग्राम की अनदेखी एवं दो जिलों के प्रसासन के बीच रस्साकशी ने सभी रैयतों को भूमि हीन बना दिया है।
इस बाबत जानकारी देते हुए ग्रामीणों ने बताया कि वैसे तो मथुरापुर राजस्व ग्राम सर्वे के समय सारण जिला के सोनपुर थाना अंतर्गत कस्मर परगना अधीन था।लेकिन विगत 20 वर्षों तक इसका लगान एवं राजस्व सम्बन्धी वादों का निष्पादन पटना जिले के दाना पुर अंचल से होते आया था।
हाल के कुछ वर्षों में जब यहां की किसान अपनी लगान रसीद कटवाने और भू स्वामित्व एवं भू धारण प्रमाण पत्र के लिये दाना पुर का रुख किये लेकिन वहां के राजस्व कर्मी ने जरूरी दस्तवेजो की अनुपलधता बताते हुए रसीद काटने से इनकार कर दिया।थकहार कर जब किसान स्वय के जिले सारण से रसीद निर्गत करवाना चाहा तब भी उन्हें निराशा हाथ लगी।दोनो जगहों से निराशा मिलने के बाद यहां के रैयतों के सामने एक यक्ष प्रश्न है कि क्या वे बिना लगान दिए या किसी तरह के सरकारि भूमि सम्बंधित योजना के लाभ लिया उक्त गांव के रैयत बने रहना चाह रहे है।

4 लेन के लिये भूमि अधिग्रहण का राशि बकाया

लगभह 2011 में शुरू हुए हाजीपुर से टेक्निवास तक बनने वाले फोर लेन सरक के लिये अधिगृहत भूमि के भू स्वामिओ ने भू अर्जन कार्यालय में रसीद नही कटने एवं पर्याप्त साक्ष्य दिखाने के बाद भी भूमि अधिग्रहन के बाद मिलने वाले मुआव्वज कि राशि नही मिल पाई।

भू स्वामियों की मांग
इस मौजा से सम्बंधित लगभग सभी रैयतो ने शासन प्रसासन स उक्त सभी गांव को पटना जिले से जोड़ देने की मांग कर रहे है।

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