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महिलाओं के अधिकारों की अनदेखी पर महिला आयोग सख्त, थाने से लेकर घर तक जारी हस्तक्षेप

आयोग के पास ही एक और चौंकाने वाला मामला पहुंचा जिसने पारिवारिक रिश्तों की मर्यादा को कठघरे में खड़ा कर दिया

पटना, दीपशिखा,24 जुलाई।
राज्य महिला आयोग ने गुरुवार को पटना के गर्दनीबाग थाना का औचक निरीक्षण किया। यह कदम तब उठाया गया जब आयोग को लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही थीं कि थाने में महिलाओं के साथ व्यवहार सम्मानजनक नहीं है और वहाँ उनके लिए मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है।

निरीक्षण के दौरान आयोग की अध्यक्ष अप्सरा और सदस्य श्यामा सिंह खुद मौजूद थीं। उन्होंने थाने में महिला आगंतुकों के लिए बैठने, संवाद और गोपनीय बातचीत के लिए जरूरी बंदोबस्तों की कमी को लेकर असंतोष व्यक्त किया। टीम को यह भी देखने को मिला कि कुछ पुलिसकर्मियों के व्यवहार में आवश्यक संवेदनशीलता का अभाव है, जो महिला शिकायतकर्ताओं के लिए चिंता का विषय है।

जब आयोग ने थाना प्रबंधन से इस स्थिति की सफाई माँगी तो कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। इसके बाद आयोग ने चेतावनी दी कि यदि जल्द सुधार नहीं हुआ, तो कड़ी अनुशंसा की जाएगी। अध्यक्ष अप्सरा ने स्पष्ट किया कि महिला आयोग अब केवल सुनवाई तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि ज़मीनी हकीकत को भी परखकर ही कार्रवाई करेगा।

इसी क्रम में, महिला आयोग के कार्यालय में एक और संवेदनशील मामला सामने आया — खगौल क्षेत्र से जुड़े एक पुश्तैनी मकान विवाद की सुनवाई। यह विवाद दो बहुओं के बीच गहराता जा रहा था। जहाँ छोटी बहू चाहती हैं कि मकान को किराए पर दिया जाए ताकि परिवार को स्थायी आमदनी का जरिया मिले, वहीं बड़ी बहू इस प्रस्ताव का विरोध कर रही हैं। उनका तर्क है कि मकान उनके ससुर के नाम पर था और उस पर सभी का बराबर का अधिकार है।

आयोग ने दोनों पक्षों की दलीलों को गंभीरता से सुना और अध्यक्ष ने स्वयं जाकर स्थल का निरीक्षण किया। आयोग ने यह आश्वासन दिया कि निर्णय पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ लिया जाएगा, जिससे किसी पक्ष के साथ अन्याय न हो।

इधर, आयोग के पास ही एक और चौंकाने वाला मामला पहुंचा जिसने पारिवारिक रिश्तों की मर्यादा को कठघरे में खड़ा कर दिया। एक महिला ने अपने सौतेले बेटे पर आरोप लगाया है कि दोनों लंबे समय से आपसी संबंध में थे। महिला का दावा है कि यह रिश्ता आपसी सहमति से चला, लेकिन बेटे की शादी के बाद उसने उनसे दूरी बना ली, जिससे वह मानसिक रूप से टूट गई हैं।

यह मामला जैसे ही सामने आया, क्षेत्र में सनसनी फैल गई। कई लोगों ने इसे पारिवारिक मूल्यों और सामाजिक मर्यादाओं के खिलाफ बताया। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि अगर महिला सच कह रही हैं, तो यह मामला केवल नैतिक नहीं बल्कि कानूनी भी बनता है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

राज्य महिला आयोग के हालिया रवैये से इतना जरूर साफ हो गया है कि अब नज़रें केवल फाइलों पर नहीं, मौके पर जाकर सच्चाई पर टिकी हैं। आयोग का यह सक्रिय रुख निश्चित रूप से प्रशासनिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर बदलाव की एक नई शुरुआत हो सकती है।

शादी से इनकार, युवती ने लगाया धोखे का आरोप

एक युवती ने अपने प्रेमी पर शादी से इनकार का आरोप लगाते हुए महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। युवती का कहना है कि दोनों लंबे समय से संबंध में थे और युवक ने शादी का वादा किया था, लेकिन अब उसकी मां और बहन इस रिश्ते के खिलाफ हैं। दबाव में आकर युवक पीछे हट गया। युवती ने इसे इज्जत का सवाल बताते हुए न्याय की मांग की है। महिला आयोग की अध्यक्ष अप्सरा ने सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया है और कहा है कि जांच के बाद उचित निर्णय लिया जाएगा।

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