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नेपाल: मनोरम दृश्य और प्राकृतिक छटा करते हैं लोगों को आकर्षित

सुपौल (बिहार) से धर्मेन्द्र कुमार धीरज/ कुमार अमर का रिपोर्ट

हिलेशी में भारत नेपाल के पत्रकार

पर्यटन नेपाल के लिए विदेशी मुद्रा का एक प्रमुख स्रोत है, जो देश के आर्थिक विकास में योगदान देता है। यही कारण है कि कोशी प्रदेश की सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन वर्ष 2082 मना रहा है। इसी क्रम में सरकार ने भारत और नेपाल के पत्रकारों के शिष्टमंडल को नेपाल स्थित प्राकृतिक सौंदर्य के बीच उन पर्यटक स्थल का दौरा कराया गया। जिसकी कथाएं आज भी समाज में प्रचलित है। लेकिन यहां के लोगों को उसकी जानकारी नहीं है। इसको लेकर 25 जून से 1 जुलाई तक इस भ्रमण कार्यक्रम के दौरान नेपाल के पर्यटक स्थल से रु-ब-रु कराया गया। चाहे धरान के बगल स्थित दंत काली शक्ति पीठ हो या खांडवारी स्थित मनोकामना देवी हो या हिलेशी का महादेव मंदिर। इसके साथ हजारों ऐसे स्थल हैं, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

शिलापट जिसपर सती के शरीर को रखा गया था हेलेसी स्थित गुफा में विराजमान हेलेसी महादेव 

नेपाली अखबार दी हिमालियन टाइम्स के आंकड़ों के मुताबिक बीते 5 महीनों में पांच लाख विदेशी पर्यटक नेपाल जा चुके हैं। होटल व्यवसाई सह कोशी पर्यटन विभाग के सदस्य बासुदेव पराल कहते हैं। नेपाल में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। चुकी नेपाल के मुख्य आय स्रोतों में पर्यटन एक है। इसलिए कोशी प्रदेश की सरकार इसको बढ़ावा देने के लिए विभिन्न तरह की बनाई गई रणनीति पर काम कर रही है।

ये पर्यटन स्थल हैं लोगों के आकर्षण का केंद्र

बासुदेव पराल, होटल व्यवसाई सह सदस्य पर्यटन विभाग, कोशी प्रदेश, नेपाल

वैसे तो नेपाल खुद अपने आप में एक प्राकृतिक सौंदर्य का जीता जागता उदाहरण है। जहां कण कण में वहां की संस्कृति, शिल्पकला, रहन-सहन, वहां की शालीनता, सादगी और ईमानदारी बसी है।
यहां के पर्यटक स्थल हिलेशी का महादेव मंदिर जहां भगवान महादेव महादेव ने भस्मासुर का मर्दन किया था। यहां की गुफा और मंदिर भारत के अमरनाथ स्थित महादेव मंदिर की तरह है। इसलिए यह जगह नेपाल के अमरनाथ के रूप में जाना जाता है। सबसे अहम बात है। यह स्थल तीन धर्मो का संगम भी माना जाता है। हिंदू के साथ बौद्ध और राई। माना जाता है कि राई जाति का उद्गम स्थल भी यही है।

शिलापट जिसपर सती के शरीर को रखा गया था

खांडवार के बगल स्थित सती का मंदिर जहां आज भी वह शिलापट मौजूद है। जहां सती के शरीर को रखा गया था।

धरान के बगल स्थित दंत काली जो शक्ति पीठ के रूप में प्रचलित है। कहां जाता है कि सती का एक दंत यही गिरा था। जो आज भी मौजूद है। इस दंत का भक्तों को दर्शन तो कराया जाता है। लेकिन फोटोग्राफी की मनाही है। इटहरी में ताल तलैया में बाल मैत्री पार्क, वाटर पार्क, बारह क्षेत्र कोका व कोसी नदी के संगम जिसे धरती का पहला तीर्थस्थल भी कहा जाता है। धनकुटा, तेर्थूम स्थित रॉक गार्डन और नेपाल के राष्ट्रीय फूल का लाली गौरांस का जंगल, हिले, बेटेदार, बसंतपुर, भोजपुर,खांडवारी जिसे रुद्राक्ष की राजधानी कहा जाता है,
तुम्बलिंगटार, नौलेगांव झरना, रिंबी झरना, काजोखोबा, खोटांग आदि शामिल हैं। जहां के मनोरम दृश्य और प्राकृतिक छटा लोगों को आकर्षित करते हैं।

धरान स्थित शक्ति पीठ दंतकाली मंदिर

सीमावर्ती क्षेत्र के पर्यटकों को होती है परेशानी

हालांकि भारत सहित अन्य देशों के पर्यटक का आकर्षण का केंद्र नेपाल जरूर है। लेकिन सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों को का कहना है कि नेपाल में निजी वाहन से जाने वाले लोगों को प्रशासनिक स्तर पर जांच एवं विभिन्न कर के नाम पर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण पर्यटक जाने से कतराते है। यही कारण है कि कोशी प्रदेश की सरकार अपने कोशिश में फिलहाल सफल नहीं हो पा रही है।

जल्द ही होगा समस्याओं का समाधान पर्यटकों को नेपाल में मिलेगी विशेष सुविधा

नेपाल पर्यटन के बासुदेव पराल कहते है। पर्यटन वर्ष 2082 में पर्यटकों की संख्या जो 4 लाख थी। उसे 10 लाख तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बिहार के सीमावर्ती क्षेत्र के पर्यटकों को नेपाल में होने वाली परेशानियों को मद्देनजर बताया। पर्यटन विभाग इन सभी पहलुओं पर रणनीति बना रही है। प्रशासन से कॉर्डिनेशन स्थापित कर जल्द ही इन समस्याओं का समाधान भी कर लिया जाएगा।

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