बिहार में सूख चुकी नदियों में जान फूँकने की तैयारी

राज्य सरकार ने 700 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत पटना, नालंदा, वैशाली, मधुबनी, समस्तीपुर, किशनगंज, सहरसा और सुपौल जिलों की नदियों को नया जीवन देने का कार्य प्रारंभ हो चुका है। 
पटना: बिहार की मिट्टी को उर्वर और समृद्ध बनाने वाली यहाँ की नदियां बढ़ते गाद के कारण अपने अस्तित्व संकट के दौर से गुजरने को विवश है। नीतीश सरकार पर्यावरण और बदलते जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यंत संवेदनशील रही है। जल जीवन हरियाली मिशन इसकी वानगी है। वहीं अब अस्तित्व संकट से जूझ रही नदियों को बचाने का प्रयास आरम्भ हुआ है। बिहार के अति संवेदनशील जलसंसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने इस ओर भगीरथ कदम बढ़ा दिया है। तभी तो बिहार की सूख चुकी और मृतप्राय नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए राज्य सरकार ने 700 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत पटना, नालंदा, वैशाली, मधुबनी, समस्तीपुर, किशनगंज, सहरसा और सुपौल जिलों की नदियों को नया जीवन देने का कार्य प्रारंभ हो चुका है। इसमें मधुबनी जिले की जीवछ, समस्तीपुर के सरायरंजन की जमुआरी और बलान जैसी प्रमुख नदी का जीर्णोद्धार किया जाएगा।
विशेष रूप से समस्तीपुर के सरायरंजन से गुजरने वाली बलान नदी को इस योजना में प्राथमिकता दी गई है। यह नदी लंबे समय से गाद जमाव और जल प्रवाह की कमी से जूझ रही थी, लेकिन अब इसे फिर से जीवन देने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। यह नदी सरैसा के उपजाऊ मिट्टी के लिए विख्यात रहा है।
जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के मार्गदर्शन में जल संसाधन विभाग दो चरणों में इस योजना को कार्यान्वित करेगा।
पहले चरण में उन नदियों की सफाई और गाद हटाने का कार्य किया जाएगा जिनका अधिकांश हिस्सा सूख चुका है और जो स्थानीय जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वहीं दूसरे चरण में उन नदियों का पुनर्जीवन होगा जो लंबे समय से गाद अतिक्रमण की समस्या से जूझ रही हैं। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि राज्य के जल संसाधनों के सतत विकास और ग्रामीण जीवन को संजीवनी देने की दिशा में भी महत्वपूर्ण है।