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तो क्या उत्तर बिहार से मानसून सचमुच रूठ रहा है

समस्तीपुर 28/05/2025 गाछी- पान- मखान के लिए चर्चित उत्तर बिहार का अधिकांश इलाका सूखा से ग्रसित हो चुका है। जलस्तर एकदम नीचे जा रहा है। जिसके कारण ताल-तलैया तेजी से सूख रहे। सूखते ताल -तलैया पर भूमाफिया की नजर गड़ने लगी है। पिछले कुछ वर्षों में मानसून का भी पैटर्न बदला। उत्तर-पूर्व भारत के मुकाबले मानसून पश्चिम और मध्य भारत में जमकर बरस रहा है।यही कारण है कि कृषि का पैटर्न भी बदलने लगा है।

ऐसा नहीं है कि मानसून अवधि में बादल बनता नहीं है। बल्कि बादलों की आंख मिचौनी जारी रहती है। मानसूनी अवधि में नेपाल में बारिश के चलते नदियों में पानी असामान्य हो जाया करता है और उत्तर बिहार का अधिकांश इलाका बाढ़ प्रभावित हो जाता है। यदि बाढ़ के पानी का संचयन सही तरीके से हो जाय तो इससे न केवल जलस्तर में बढ़ोतरी हो सकता है बल्कि सिचाई के असीमित क्षेत्र में वृद्धि हो सकती है। बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने इस संदर्भ में कहा कि नदियों की सबसे बड़ी समस्या गाद की है। सरकार इस समस्या के निराकरण के लिए तेजी से कार्य कर रही है।

 दूसरी ओर सरकार के द्वारा जल संरक्षण के लिए चलाए जा रहे तमाम दावे बेकार सिद्ध हो रहे हैं। इस दिशा में सरकार के द्वारा किए जा रहे तमाम खर्च भ्रष्टाचार की बलि बेदी पर चढ़ती जा रही है।सरकार ने जल जीवन हरियाली मिशन की शुरुआत की लेकिन अगर कुछ जमीनी हकीकत को छोड़ दें तो अधिकांश मामलों में यह भ्र्ष्टाचार की हकीकत को ही दर्शाता है।जलस्तर में जिस तरह से तेजी से गिरावट जारी है वह आने वाले कुछ समय के बाद लोगों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ा कर सकता है।आने वाली पीढियों के लिए यह एक गंभीर चुनौती होगा।ऐसे में आवश्यकता है सरकार इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करे और इस क्षेत्र में मची धन की लूट को रोकने का प्रयास करे तथा यह सुनिश्चित करे कि कोई भी धन अगर खर्च हो रहा है तो वह सही जगह पर जा रहा है।

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