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बिहार को अपनी कला संस्कृति के कारण ही गौरव प्राप्त है

पद्मश्री श्याम शर्मा की कला व उनकी कला के प्रति प्रेम, योगदान तथा अवदान पर आधारित तीन शॉर्ट फिल्म्स का प्रदर्शन एवं संवाद का आयोजन

 

डा.बिन्देश्वर प्रसाद गुप्ता

बिहार को अपनी कला संस्कृति के कारण ही गौरव प्राप्त है। कल भी बिहार की कला का स्वर्ण युग था । आज भी स्वर्ण युग है ।आज 2 साल बाद 21 वीं शताब्दी के बाद इतिहास लिखा जाएगा तो हम उसके लिए क्या कर रहे हैं ? बताना होगा।….. कला समय सापेक्ष होती है । कला समय के साथ चलती है। प्रत्यक्ष या परोक्ष, आकृति निरपेक्ष वह दिखाई देना चाहिए । फिल्मों में सिर्फ एक पात्र मैं था जिसे तीनों फिल्म निर्माताओं ने अपनी-अपनी दृष्टि से देखा और उसी तरह से फिल्में बनाई ।

…. आज का कार्यक्रम कला के विकास की ओर जाने की प्रक्रिया है । फिल्म के विकास को हम कैसे कलात्मक बनाते हैं , इसे देखना है । हम बायोग्राफी लिखने के लिए दर्शकों का नजरिया नहीं बनाते। कला कितना विकसित हुआ , हम उसके लिए कला बनाते हैं। हम समाज में सौन्दर्य बोध के लिए अपनी कला को बनाते हैं । गाँधी का जो कला दर्शन था , कला के प्रति प्रेम था , वह परिलक्षित होता है। बापू के दर्शन को कला से जोड़कर कलात्मक फिल्म बनायें ,जो कुछ नया देखने को मिले । कलात्मक सृजन द्वारा फिल्में मिलेगी जो बिहार की देन होगी ।…
— उपर्युक्त बातें छपाई कला के मूर्धन्य कलाकार पद्मश्री श्याम शर्मा.ने अपनी विशिष्ट कला यात्रा पर आधारित तीन शॉर्ट फिल्में की विशेष स्क्रीनिंग के प्रदर्शन के पश्चात कही।
राजधानी पटना (बिहार) के बापू टावर सभागार में छपाई कला के मूर्धन्य कलाकार पद्मश्री श्याम शर्मा की विशिष्ट कला यात्रा पर आधारित तीन शॉर्ट फिल्मों की विशेष स्क्रीनिंग और वक्तव्य का आयोजन किया गया। पद्मश्री श्याम शर्मा की कला व कला के प्रति प्रेम , उनके योगदान तथा अवदान के तहत सभागार में उपस्थित कलाप्रेमियों को उनके जीवन, छाप कला के प्रति उनका रुझान और उनके सफर , उनकी सृजनशीलता और संघर्ष से जुड़ने का जुझारूपन से अवगत होने का मौका मिला।
तीन प्रदर्शित शॉर्ट फिल्मों में मेहदी शॉ की “व्हाइट एंड व्हाइट”, अफजल अदीब खान व शैलेंद्र कुमार की “द प्रिंटमेकर” और शांतनु मित्रा की “इन्साइट” शामिल थीं। इन फिल्मों के माध्यम से दर्शकों को श्याम शर्मा की जीवनी, कला के प्रति उनके जुनून और उनके शुरुआती कलात्मक संघर्षों से परिचित कराया गया।


कार्यक्रम का शुभारंभ पद्मश्री श्याम शर्मा, फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम, फिल्म निर्देशक अरविंद रंजन दास, फिल्मकार मेहदी शॉ, शांतनु मित्रा और अफजल अदीब खान के स्वागत के साथ हुआ। बापू टावर के निदेशक विनय कुमार ने पुष्पगुच्छ भेंट कर सभी अतिथियों का अभिनंदन किया।
फिल्मों की स्क्रीनिंग के पश्चात वक्तव्य सत्र में बापू टावर के निर्देशक विनय कुमार ने श्याम शर्मा से जुड़ी स्मृतियों को साझा किया। उन्होंने कहा कि “मुझे श्याम शर्मा के प्रिंट्स का पहला दर्शक बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। आज भी उनमें जो ऊर्जा है, वह किसी भी युवा को प्रेरित करने के लिए पर्याप्त है।”
फिल्म निर्देशक अरविंद रंजन दास ने श्याम शर्मा और उनकी पत्नी नवनीत शर्मा के साथ अपने अनुभव साझा किए, जिससे कार्यक्रम भावनात्मक रूप से भी समृद्ध हुआ।
फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम ने कहा कि श्याम शर्मा जिस तरीके से काम करते हैं वो अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि कला ज्ञान की माँग करती है ,जिसके लिए अध्ययन की आवश्यकता होती है। कलाकार के रक्त में कला होती है। कलाकार में कला जन्मजात होती है , ऐसा कह कर कलाकार अपनी कला में अध्ययन नहीं करते और अपना ज्ञान नहीं बढ़ाते जो उचित नहीं है। श्याम शर्मा ने कला के प्रति काफी अध्ययन किया है ।
उन्होंने बताया कि बिहार की फिल्म नीति आयी है । सरकार को इस पर विचार करना चाहिए और ऐसी फिल्मों को इस नीति में शामिल करना चाहिए। उन्होंने बताया कि ये फिल्में उन्हें दुनिया की सबसे अच्छी फिल्म लगी। इसके बाद , पटना विश्वविद्यालय की अध्यापिका प्रोफेसर माया शंकर , रंग निर्देशक धर्मेश मेहता , प्रकाशक प्रदीप जैन , फोटोग्राफर विजय जैन आदि आदि अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का अंत पारस्परिक संवाद के बाद श्याम शर्मा के समापन वक्तव्य तथा बापू टावर के उप-निदेशक ललित कुमार सिंह के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। मंच का संचालन बापू टावर के विशेष कार्य पदाधिकारी नीलिमा मिश्रा ने किया।


उल्लेखनीय है, कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि श्याम शर्मा का जन्म मथुरा में हुआ था। स्नातक में अनुत्तीर्ण होने के बाद उन्होंने लखनऊ के कला महाविद्यालय में प्रवेश लिया, जहां से उनकी छपाई कला के सफर की शुरुआत हुई। ….. पिछले वर्ष 24 अगस्त को पद्मश्री डॉक्टर श्याम शर्मा के कर- कमलों के द्वारा ही , इन पंक्तियों के लेखक व वरिष्ठ पत्रकार डा. बिंदेश्वर प्रसाद गुप्ता को पटना की सुप्रतिष्ठित नाट्य संस्था प्रयास रंग मंडल ने पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने हेतु ” नूरफातिमा सम्मान ” से सम्मानित किया था ।
इस अवसर पर, पटना के कला, फिल्म और साहित्य जगत से जुड़े रंग निर्देशक मिथिलेश सिंह, धर्मेश मेहता , अभिषेक कुमार , वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार डा.बिन्देश्वर प्रसाद गुप्ता, पटना वीमेंस कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर सोहिनी प्रिया सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे और उन्होंने शॉर्ट फिल्मों के माध्यम से श्याम शर्मा की सृजनशीलता और योगदान की भूरि – भूरि प्रशंसा की।

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