डॉ. बीरबल झा को अंग्रेजी साहित्य रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया

पटना, 1 मार्च 2025 बिहार में जन्मे प्रसिद्ध अंग्रेजी साहित्यकार और लेखक डॉ. बीरबल झा को उनके असाधारण साहित्यिक योगदान और भारत में अंग्रेजी कौशल प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2025 के ‘अंग्रेजी साहित्य रत्न पुरस्कार ‘ से नवाज़ा गया। यह प्रतिष्ठित अंग्रेजी साहित्य पुरस्कार उन्हें नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में प्रदान किया गया।
अंग्रेजी साहित्य और कौशल प्रशिक्षण में एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व
डॉ. बीरबल झा, जो अपनी साहित्यिक और शैक्षिक उपलब्धियों के लिए प्रसिद्ध हैं, को यह सम्मान रामकृष्ण आश्रम के सचिव स्वामी सर्वलोकानंद महाराज के कर-कमलों द्वारा दिया गया। इस अवसर पर कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे, जिनमें पूर्व डीजीपी डॉ. आनंद कुमार, ब्रिगेडियर संजय अग्रवाल और मनोवैज्ञानिक डॉ. उमेश शर्मा शामिल थे। यह सम्मान सृजन न्यास द्वारा प्रदान किया गया।
अंग्रेजी शिक्षा और सामाजिक उत्थान के प्रेरणास्रोत
ब्रिटिश लिंगुआ के संस्थापक डॉ. बीरबल झा ने भारत में अंग्रेजी शिक्षा को जनसामान्य तक पहुंचाने में अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होंने “इंग्लिश फॉर ऑल” अभियान और “सेलिब्रेट योर लाइफ: स्पोकन इंग्लिश किट” तथा “इंग्लिश फॉर सोशल जस्टिस इन इंडिया” जैसी प्रभावशाली पुस्तकों के माध्यम से लाखों लोगों को भाषाई सशक्तिकरण प्रदान किया है।
उनका कार्य केवल भाषा शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक समानता, न्याय और सांस्कृतिक संरक्षण को भी बढ़ावा देता है। उन्होंने 1993 में ब्रिटिश लिंगुआ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य भारत के वंचित और हाशिए पर खड़े लोगों को अंग्रेजी शिक्षा तक निर्बाध पहुंच प्रदान करना है। उनके प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से अब तक 4 लाख से अधिक युवाओं को अंग्रेजी संवाद कौशल में दक्ष बनाया जा चुका है।
इस अवसर पर डॉ. बीरबल झा, जो समाज सुधारक और प्रसिद्ध सामाजिक उद्यमी हैं ने कहा, “मेरा लक्ष्य आमलोगों को अंग्रेजी भाषा का ऐसा कौशल प्रदान करना है, जिससे वे न केवल अपने जीवन स्तर को सुधार सकें, बल्कि शैक्षिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनें। भारत में अंग्रेजी भाषा अवसरों के अनगिनत द्वार खोलती है, और मैं इसे एक सामाजिक से सशक्तिकरण का माध्यम बनाना चाहता हूं, भले ही मेरी आत्मा भारतीय संस्कृति में रची-बसी हो।”
अंग्रेजी भाषा के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन के अग्रदूत
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त डॉ. बीरबल झा, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, भारत में अंग्रेजी साक्षरता और कौशल प्रशिक्षण को लोकतांत्रिक रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उन्होंने 36,000 से अधिक महादलितों, जो बिहार के सबसे गरीब वर्ग से आते हैं, को निःशुल्क अंग्रेजी शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर सशक्त बनाया है।
उनकी साहित्यिक कृतियाँ भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देती हैं, साथ ही परंपरा और आधुनिकता के बीच एक सेतु का कार्य भी करती हैं। उनके प्रकाशन और प्रशिक्षण कार्यक्रमों से छात्रों, पेशेवरों और वंचित समुदायों को लाभ मिलता है, जिससे उन्हें अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए आवश्यक संवाद कौशल मिलते हैं।
सम्मान और प्रतिष्ठा के प्रतीक
डॉ. बीरबल झा को उनके अनुकरणीय कार्यों के लिए अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
ग्लोबल स्किल्स ट्रेनर अवार्ड, ग्रेट पर्सनैलिटी ऑफ इंडिया अवार्ड, मिथिला विभूति सम्मान, पंडित मदन मोहन मालवीय पुरस्कार, पर्सन ऑफ द ईयर अवार्ड, स्टार ऑफ एशिया अवार्ड, तथा यंगेस्ट लिविंग लीजेंड ऑफ मिथिला ।
शिक्षा, सामाजिक न्याय और सामुदायिक विकास के मार्गदर्शक
डॉ. बीरबल झा के अग्रणी प्रयास शिक्षा, सामाजिक न्याय और सामुदायिक विकास के बीच एक मजबूत कड़ी बनाते हैं। उनके प्रयासों से भारतीय समाज और वैश्विक शिक्षा प्रणाली पर स्थायी प्रभाव पड़ा है। अंग्रेजी कौशल प्रशिक्षण और सांस्कृतिक समृद्धि के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने लाखों लोगों को सशक्त किया है, जिससे यह सुनिश्चित हुआ है कि ज्ञान, भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक परिवर्तनकारी साधन बना रहे ।