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ब्रेल लिपि के आविष्कार से नेत्रहीन दिव्यांगों के सपनों का द्वार खुला

लूई ब्रेल की जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित हुआ समारोह, मेधावी नेत्रहीन दिव्यांगों को किया गया पुरस्कृत

पटना, ३ जनवरी। ‘ब्रेल-लिपि’ का आविष्कार आधुनिक संसार के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है, जिसने न केवल विश्व भर के नेत्रहीनों के सपनों के बंद दरवाज़े को खोला था बल्कि उनकी शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति उत्पन्न की। इसलिए इस लिपि के जन्म-दाता महान नेत्रहीन विज्ञानी लूई ब्रेल पूजा के योग्य हैं। उनको स्मरण करना किसी तीर्थाटन के समान पावन है।

यह बातें शुक्रवार को लूई ब्रेल की जयंती की पूर्व संध्या पर, बिहार नेत्रहीन परिषद और पटना प्लैटिनम राउण्ड टेबुल २४७ के संयुक्त तत्त्वावधान में बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित मेधावी नेत्रहीन दिव्यांग सम्मान समारोह का उद्घाटन करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि मात्र तीन वर्ष की आयु में ही एक दुर्घटना के कारण अपने नेत्रों की ज्योति खो चुके डा ब्रेल एक महान शिक्षाविद तथा अन्वेषक थे। उन्होंने अपने महान और दृढ़ संकलप से यह सिद्ध किया कि किसी भी प्रकार की अपंगता मनुष्यों के संकल्प और उसकी इच्छाशक्ति को पराजित नहीं कर सकती। मन की शक्तियों से बड़ी और कोई शक्ति नही होती।

परिषद के वरीय उपाध्यक्ष और सुप्रसिद्ध उद्यमी रामलाल खेतान की अध्यक्षता में आयोजित इस सम्मान समारोह में ३० से अधिक प्रतिभाशाली नेत्रहीन छात्र-छात्राओं एवं विशिष्ट उपलब्धि प्राप्त मेधावी नेत्रहीन दिव्यांगों को प्रशस्ति-पत्र, पदक और एन आई ई पी वी डी ब्रेल कैलेंडर-२०२५ देकर सम्मानित किया गया। इसके पूर्व मंचस्थ अतिथियों द्वारा कैलेंडर का लोकार्पण किया गया।

आरंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए परिषद के महासचिव और सुप्रसिद्ध नेत्रहीन दव्यांग डा नवल किशोर शर्मा ने लूई ब्रेल के जीवन और व्यक्तित्व के साथ उनके अवदानों की विस्तार से चर्चा की तथा नगर में उनकी एक मूर्ति लगाने की मांग की। उन्होंने सरकार से यह मांग भी की कि दिव्यांगों की पेंशन राशि चार सौ से बढ़ाकर कमसेकम तीन हज़ार की जाए।

इस अवसर पर, सुप्रसिद्ध समाजसेवी कमल नोपानी, पटना राउण्ड टेबुल के अध्यक्ष विकास चंद्रा, नीतीश खेतान, डा अश्विनी कुमार, जीतेन्द्र कुमार, योगेन्द्र कुमार और श्रवण कुमार सुधांशु ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन दिव्यांग युवक राकेश कुमार ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन संजय कुमार ने किया। परिषद के स्वयंसेवक आकाश कुमार, शिवानी कुमारी तथा प्रियांशु राज नेत्रहीनों की सहायता में निरन्तर सक्रिए रहे।

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