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महागठबंधन के 2020 के घोषणापत्र के अनुरूप सभी शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिलना चाहिए

वाम दलों की संयुक्त प्रेस रिलीज
’नई शिक्षक नियमावली -2023 को लेकर वाम दलों की बैठक’
’नियमावली में संशोधन की मांग पर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से मुलाकात करेगा वाम दलों का प्रतिनिधिमंडल’
महागठबंधन के अन्य दलों से भी की जाएगी बात’

पटना 29 अप्रैल 2023

‘बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक नियमावली – 2023‘ पर शिक्षक समुदाय की ओर से आ रही आपत्तियों व शिक्षक संगठनों के विरोध के मद्देनजर विगत 28 अप्रैल को वामदलों – सीपीआई, सीपीएम और भाकपा-माले की एक बैठक जनशक्ति भवन पटना में संपन्न हुई. बैठक की अध्यक्षता भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता का. केडी यादव ने की.

बैठक में सीपीआई के राज्य सचिव का. रामनरेश पांडे, सीपीएम के राज्य सचिव मण्डल सदस्य का. अरुण मिश्रा, पालीगंज विधायक का. संदीप सौरभ, सीपीएम विधायक दल नेता का. अजय कुमार, शिक्षक नेता माध्यमिक शिक्षक संघ के राज्य महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, एमएलसी संजय सिंह, सीपीआई के विजय नारायण मिश्रा, रामलाला सिंह व विश्वजीत कुमार, माले के कुमार परवेज और शिक्षक नेता विजय कुमार उपस्थित थे.

बैठक के उपरांत वाम नेताओं ने संयुक्त बयान जारी करके कहा कि बिहार सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षक  नियमावली-23 पर शिक्षक संगठनों का विरोध है. वाम दलों का भी मानना है कि यह महागठबंधन के 2020 के घोषणा के अनुरूप नहीं है.

‘बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक नियमावली-2023’ द्वारा वर्षों से कार्यरत नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने का फैसला तो स्वागतयोग्य है, परंतु इस नियमावली में राज्यकर्मी का दर्जा देने की शर्त के रूप में परीक्षा आयोजित करने की बात से बिहार के लाखों नियोजित शिक्षक आशंकित हैं. इससे यह संदेश जा रहा है कि ये शिक्षक ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा’ देने के योग्य नहीं थे.

नियोजित शिक्षकों ने सरकार के सभी प्रकार के कार्यों का लगातार संपादन करते हुए बिहार के शैक्षणिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. ये शिक्षक बिहार सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित मानकों के अनुरूप बहाल हुए हैं. निरंतर सेवा देने के उपरांत राज्य कर्मी बनने के लिए उनके उपर परीक्षा की शर्त रख देना उनके श्रम के साथ भी न्याय नहीं है. विभिन्न शिक्षक संगठनों द्वारा इसके खिलाफ आंदोलन भी चलाया जा रहा है, जिससे विद्यालय में पठन-पाठन बाधित हो रहे हैं.

इसलिए वाम दलों की मांग है कि सभी नियोजित शिक्षकों को महागठबंधन के 2020 के घोषणापत्र के मुताबिक बिना किसी परिक्षा के सीधे राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए और जारी गतिरोध को खत्म किया जाए.

साथ ही, सातवें चरण के शिक्षक अभ्यर्थी जो लंबे समय से अपनी बहाली का इंतजार कर रहे हैं, उनके ऊपर भी एक और परीक्षा लाद देना उचित नहीं लगता. सरकार को इसपर भी विचार करना चाहिए और सातवें चरण को इस प्रक्रिया से मुक्त रखा जाना चाहिए.

नई शिक्षक नियमावली पर शिक्षक संगठनों और अभ्यर्थियों की आपत्तियों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव जी को गम्भीरतापूर्वक विचार करते हुए उसका निराकरण करना चाहिए.इस मसले पर वामपंथी दलों का एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से मिलेगा और नई शिक्षक नियमावली पर उठ रही आपत्तियों से उन्हें अवगत कराएगा.

महागठबंधन के अन्य दलों राजद, कांग्रेस, हम (से. ) और जदयू के राज्य नेतृत्व से भी बातचीत की जाएगी.

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