E-News Bihar

Latest Online Breaking News

आज 2 फरवरी का पञ्चाङ्ग

*⛅दिनांक – 02 फरवरी 2023*
*⛅दिन – गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2079*
*⛅शक संवत् – 1944*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – शिशिर*
*⛅मास – माघ*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – द्वादशी शाम 04:26 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*⛅नक्षत्र – आर्द्रा 03 फरवरी सुबह 06:18 तक*
*⛅योग – वैधृति दोपहर 12:13 तक तत्पश्चात विष्कम्भ*
*⛅राहु काल – दोपहर 02:17 से 03:41 तक*
*⛅सूर्योदय – 07:19*
*⛅सूर्यास्त – 06:28*
*⛅दिशा शूल – दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:36 से 06:28 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:28 से 01:19 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – भीम द्वादशी, वराह-तिल द्वादशी, प्रदोष व्रत*
*⛅विशेष – द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 माघ मास के महत्त्वपूर्ण आखिरी 3 दिन 🌹*

*🌹 माघ मास में त्रयोदशी से पूनम तक के तीन दिन : त्रयोदशी ( 03 फरवरी 2023, शुक्रवार) , चौदस (04 फरवरी 2023, शनिवार), पूर्णिमा (05 फरवरी 2023, रविवार) को अत्यंत पुण्यदायी तिथियाँ हैं ।*

*🌹 माघ मास में सभी दिन अगर कोई स्नान ना कर पाए तो त्रयोदशी, चौदस और पूनम ये तीन दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान कर लेने से पूरे माघ मास के स्नान के पुण्यो की प्राप्ति होती है ।*

*🔹प्रदोष व्रत – 19 जनवरी 2023🔹*

*🌹 जिस दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय व्याप्त होती है उसी दिन प्रदोष का व्रत किया जाता है । प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारम्भ हो जाता है। जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ-साथ होते हैं, वह समय शिव पूजा व गुरु पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ होता है ।*

*🌹 वराह-तिल द्वादशी 🌹*

*🌹 02 फरवरी 2023 गुरुवार को वराह-तिल द्वादशी । इस दिन तिल का उपयोग स्नान में, प्रसाद में, हवन में, दान में और भोजन में उपयोग करें । और तिल के तेल के दियें जलाकर सम्पूर्ण व्याधियों से रक्षा की भावना करोगे तो ब्रम्हपुराण कहता है कि तुम्हे व्याधियों से रक्षा मिलेगी ।*
*- पूज्य बापूजी Delhi 27th Jan’ 2013*

*🔹स्वास्थ्य व सात्त्विकता वर्धक बिल्वपत्र का चूर्ण🔹*

*🔹 बिल्वपत्र (बेल के पत्ते) उत्तम वायुशामक, कफ निस्सारक व जठराग्निवर्धक हैं ।*

*🔹 ये कृमि व शरीर की दुर्गंध का नाश करते हैं ।*

*🔹 ये ज्वरनाशक, दर्दनाशक, संग्राही (मल को बाँधकर लानेवाले) व सूजन उतारनेवाले हैं । ये मूत्रगत शर्करा को कम करते हैं, अतः मधुमेह में लाभदायी हैं ।*

*🔹 ये हृदय व मस्तिष्क को बल प्रदान करते हैं। शरीर को पुष्ट व सुडौल बनाते हैं । कोई रोग न भी हो तो भी नित्य बिल्वपत्र के चूर्ण का सेवन करें तो बहुत लाभ होगा ।*

*🔹औषधीय प्रयोग🔹*

*🔸 स्वप्नदोष, प्रमेह (मूत्रसंबंधी विकार) एवं श्वेतप्रदर में बिल्वपत्र, धनिया व सौंफ का समभाग चूर्ण लेकर मिश्रण बना लें । १० ग्राम मिश्रण शाम को १२५ मि.ली. पानी में भिगो दें । सुबह खाली पेट लें । इसी प्रकार सुबह भिगोये । मिश्रण को शाम को लें ।*

*🔸धातुक्षीणता में बिल्वपत्र के ३ ग्राम चूर्ण में थोड़ा शहद मिला के सुबह-शाम लेने से धातु पुष्ट होती है ।*

*🔸 मस्तिष्क की गर्मी में : बिल्वपत्र के चूर्ण में पानी मिलाकर माथे पर लेप करने से मस्तिष्क की गर्मी शांत होती है । और नींद अच्छी आती है ।*

 

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें 

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button 

[responsive-slider id=1466]
error: Content is protected !!