आज का पञ्चाङ्ग
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*⛅दिनांक – 24 जनवरी 2023*
*⛅दिन – मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2079*
*⛅शक संवत् – 1944*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – शिशिर*
*⛅मास – माघ*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – तृतीया दोपहर 03:22 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र – शतभिषा रात्रि 09:58 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद*
*⛅योग – वरियान रात्रि 09:37 तक तत्पश्चात परिघ*
*⛅राहु काल – सुबह 03:37 से 04:59 तक*
*⛅सूर्योदय – 07:22*
*⛅सूर्यास्त – 06:22*
*⛅दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:38 से 06:30 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:26 से 01:18 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – तिलकुन्द चतुर्थी, मंगलवारी चतुर्थी*
*⛅विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔸मंगलवारी चतुर्थी – 24 जनवरी 2023*
*🔸पुण्यकाल : दोपहर 3:22 से 25 जनवरी सूर्योदय तक*
*🌹 जैसे सूर्य ग्रहण को दस लाख गुना फल होता है वैसे ही मंगलवारी चतुर्थी को होता है । बहुत मुश्किल से ऐसा योग आता है। मत्स्य पुराण, नारद पुराण आदि शास्त्र में इसकी भारी महिमा है ।*
*🌹 इस दिन अगर कोई जप, दान, ध्यान, संयम करता है तो वह दस लाख गुना प्रभावशाली होता है, ऐसा वेदव्यास जी ने कहा है ।*
*🔹माँगलिक है तो…🔹*
*🔹छोकरी माँगलिक है, शादी नहीं होती । छोकरा माँगलिक है शादी हो के टूट जाती है । मंत्र है वो थोड़ा जप करें और हनुमानजी को थोड़ा सिंदूर और तेल का चोला चढ़ावे सात मंगलवार अथवा शनिवार, तो माँगलिक ग्रह भाग जायेगा ।*
*🔸ससुराल में तकलीफ हो तो🔸*
*🔸किसी सुहागन बहन को ससुराल में कोई तकलीफ हो तो सालभर की शुक्ल पक्ष की तृतीया को एक बार बिना नमक का भोजन करके उपवास रखें । सालभर की तृतीया का उपवास नही कर सकते है तो माघ मास, वैशाख मास और भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया को उपवास जरूर करें ।*
*🔸दीप – प्रज्वलन अनिवार्य क्यों ?🔸*
*🔸 भारतीय संस्कृति में धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ, सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में दीपक प्रज्वलित करने की परम्परा है । दीपक हमें अज्ञानरुपी अंधकार को दूर करके पूर्ण ज्ञान को प्राप्त करने का संदेश देता है । आरती करते समय दीपक जलाने के पीछे उद्देश्य यही होता है कि प्रभु हमें अज्ञान-अंधकार से आत्मिक ज्ञान-प्रकाश की ओर ले चलें ।*
*🔸मनुष्य पुरुषार्थ कर संसार से अंधकार दूर करके ज्ञान का प्रकाश फैलाये ऐसा संदेश दीपक हमें देता है । दीपावली पर्व में, अमावस्या की अँधेरी रात में दीप जलाने के पीछे भी यही उद्देश्य छुपा हुआ है । घर में तुलसी की क्यारी के पास भी दीप जलाये जाते हैं । किसी भी नये कार्य की शुरुआत भी दीप जलाकर की जाती है । अच्छे संस्कारी पुत्र को भी कुल-दीपक कहा जाता है ।*
*🌞संत श्री आशारामजी बापू आश्रम🌞*