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आज 17 जनवरी का पञ्चाङ्ग

*⛅दिनांक – 17 जनवरी 2023*
*⛅दिन – मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2079*
*⛅शक संवत् – 1944*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – शिशिर*
*⛅मास – माघ (गुजरात एवं महाराष्ट्र में पौष)*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – दशमी शाम 06:05 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र – विशाखा शाम 06:46 तक तत्पश्चात*
*⛅योग – शूल सुबह 08:35 तक तत्पश्चात गण्ड*
*⛅राहु काल – अपराह्न 03:33 से 04:55 तक*
*⛅सूर्योदय – 07:23*
*⛅सूर्यास्त – 06:17*
*⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:38 से 06:30 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:24 से 01:16 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष – दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔸वायु की तकलीफ में🔸*

*🔹वायु की तकलीफ है, जोड़ों का दर्द है तो १०-१५ तुलसी के पत्ते, १-२ काली मिर्च, १०-१५ ग्राम गाय का घी मिलाकर खाया करें । वायु सम्बन्धी बीमारियों में आराम हो
*🔹 दीर्घायु के लिए 🔹*

*👉🏻 २ ग्राम सौंठ में पानी मिलाकर रात को लोहे की कड़ाही के अंदर लेप करें । प्रातः काल वह सौंठ दूंध में मिलाकर पीने से दीर्घायुष की प्राप्ति होती है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद – नवम्बर 2009*

*🔸 कलह, धन-हानि व रोग-बाधा से परेशान हों तो…🔸*

*🔹 घर में कलहपूर्ण वातावरण, धन-हानि एवं रोग-बाधा से परेशानी होती हो तो आप अपने घर में मोरपंख कि झाड़ू या मोरपंख पूजा-स्थल में रखें ।*

*🔹 नित्य नियम के बाद मन-ही-मन भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप करते हुए इस पंख या झाड़ू को प्रत्येक कमरे में एवं रोग-पीड़ित के चारों तरफ गोल-गोल घुमाये ।*

*🔹 कुछ देर ‘ॐकार ‘ का कीर्तन करें-करायें । ऐसा करने से समस्त प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है तथा ऊपरी एवं बुरी शक्तियों का प्रभाव भी दूर हो जाता है ।*

*📖 ऋषि प्रसाद – जनवरी २०२२ से*

*🔸होमियो तुलसी गोलियाँ🔸*

*🔹आज की दौड़-धूपभरी जिंदगी जीनेवालों के पास इतना समय कहाँ है कि वे शास्त्रों में वर्णित विधि-विधान से पतितपावनी तुलसी का सेवन कर सकें । यह ध्यान में रखते हुए आश्रम के पवित्र वातावरण में उपजी सर्वरोगहारी तुलसी से होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति द्वारा छोटी-छोटी मीठी गोलियों के रूप में बनायी गयी हैं ।*

*🔹इनके नियमित सेवन से -*

*👉स्मरणशक्ति व पाचनशक्ति में वृद्धि ।*

*👉 हृदयरोग, दमा, टी.बी., हिचकी, विष-विकार, ऋतु परिवर्तनजन्य सर्दी-जुकाम, श्वास-खाँसी, खून की – कमी, दंत रोग, त्वचासंबंधी रोग, सिरदर्द, प्रजनन व मूत्रवाही संस्थान के रोगों में लाभकारी ।*

*👉 कुष्ठरोग, मूत्र व रक्त विकार आदि में लाभदायी । हृदय, यकृत (लीवर), प्लीहा व आमाशय हेतु बलवर्धक ।*

*👉 बच्चों का चिड़चिड़ापन, जीर्णज्वर, सुस्ती, दाह आदि में उपयोगी ।*

*👉 संधिवात, मधुमेह (डायबिटीज), यौन दुर्बलता, नजला, सिरदर्द, मिर्गी, कृमि रोग एवं गले के रोगों में – लाभदायी ।*

*👉 भारी व्यक्ति का वजन घटता है एवं दुबले-पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है ।*

*👉 हर आयुवर्ग के रोगी तथा निरोगी, सभीके लिए लाभदायी ।*

*👉 कफ व वायु की विशेष रूप से नाशक । पित्त प्रकृतिवालों को सेवन करनी हो तो २-२ गोली सुबह-शाम आधा कप पानी में घोल के लें ।*

 

*🌞संत श्री आशारामजी बापू आश्रम🌞*

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