आज 5 जनवरी का हिन्दू पञ्चाङ्ग
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⛅दिनांक – 05 जनवरी 2023*
*⛅दिन – गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2079*
*⛅शक संवत् – 1944*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – शिशिर*
*⛅मास – पौष*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – चतुर्दशी रात्रि 02:14 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
*⛅नक्षत्र – मृगशिरा रात्रि 09:26 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*⛅योग – शुक्ल सुबह 07:34 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*⛅राहु काल – दोपहर 02:06 से 03:27 तक*
*⛅सूर्योदय – 07:22*
*⛅सूर्यास्त – 06:08*
*⛅दिशा शूल – दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:36 से 06:29 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:19 से 01:12 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – चतुर्दशी-आर्द्रा नक्षत्र योग*
*⛅विशेष – चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है ।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔸चतुर्दशी-आर्द्रा नक्षत्र योग🔸*
*🔹पुण्यकाल : रात्रि 09:26 से 02:14 ( 06 जनवरी 2:14 A.M) तक*
*🔸चतुर्दशी के दिन आर्द्रा नक्षत्र का योग हो तो उस समय किया गया प्रणव (ॐ) का जप अक्षय फलदायी होता है ।*
*(शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)*
*🌹 शास्त्रों में ॐकार की महिमा 🌹*
*🌹 ‘प्रणववाद’ ग्रंथ में ॐकार मंत्र से संबंधित २२ हजार श्लोकों का समावेश है ।*
*🌹 पतंजलि महाराज ने कहा है : तस्य वाचक: प्रणव: । (पातंजल योगदर्शन ) ‘ॐ’(प्रणव)परमात्मा का वाचक है, उसकी स्वाभाविक ध्वनि है । और सबमें अपने-आप यह ध्वनि हो रही है लेकिन आज का मनुष्य इतना बहरा है, इतना बहिर्मुख है कि ॐकार को बाहर से, भीतर से नही सुन पाता है इसलिए गुरुदेव देते हैं मंत्र ।*
*🌹 ‘ॐ’ बीजमंत्र है । भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है : प्रणव: सर्ववेदेषु…. वेदों में मैं ‘ॐ’ हूँ ।*
*🌹 प्रणव अर्थात ‘ॐ’ । संसार की सारी विद्याएँ जिन शब्दों से उच्चारित होती है उनका मूल है ‘ॐ’ । शास्त्रों में इसका व्यापक रूप से वर्णन किया गया है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद – जून २०२० से*
*🔸ॐ कार मंत्र में 19 शक्तियाँ हैं – (भाग-1)🔸*
*🔹रक्षण शक्ति : ॐ सहित मंत्र का जप करते हैं तो वह हमारे जप तथा पुण्य की रक्षा करता है । किसी नामदान के लिए हुए साधक पर यदि कोई आपदा आनेवाली है, कोई दुर्घटना घटने वाली है तो मंत्र भगवान उस आपदा को शूली में से काँटा कर देते हैं । साधक का बचाव कर देते हैं। ऐसा बचाव तो एक नहीं, मेरे हजारों साधकों के जीवन में चमत्कारिक ढंग से महसूस होता है ।*
*🔹गति शक्ति : जिस योग में, ज्ञान में, ध्यान में आप फिसल गये थे, उदासीन हो गये थे, किंकर्तव्यविमूढ़ हो गये थे उसमें मंत्रदीक्षा लेने के बाद गति आने लगती है । मंत्रदीक्षा के बाद आपके अंदर गति शक्ति कार्य में आपको मदद करने लगती है ।*
*🔸कांति शक्ति : मंत्रजाप से जापक के कुकर्मों के संस्कार नष्ट होने लगते हैं और उसका चित्त उज्जवल होने लगता है । उसकी आभा उज्जवल होने लगती है, उसकी मति-गति उज्जवल होने लगती है और उसके व्यवहार में उज्जवलता आने लगती है ।*
*🔸इसका मतलब ऐसा नहीं है कि आज मंत्र लिया और कल सब छूमंतर हो जायेगा… धीरे-धीरे होगा। एक दिन में कोई स्नातक नहीं होता, एक दिन में कोई एम.ए. नहीं पढ़ लेता, ऐसे ही एक दिन में सब छूमंतर नहीं हो जाता। मंत्र लेकर ज्यों-ज्यों आप श्रद्धा से, एकाग्रता से और पवित्रता से जप करते जायेंगे त्यों-त्यों विशेष लाभ होता जायेगा ।*
*🔹प्रीति शक्ति : ज्यों-ज्यों आप मंत्र जपते जायेंगे त्यों-त्यों मंत्र के देवता के प्रति, मंत्र के ऋषि, मंत्र के सामर्थ्य के प्रति आपकी प्रीति बढ़ती जायेगी ।*
*🔹तृप्ति शक्ति : ज्यों-ज्यों आप मंत्र जपते जायेंगे त्यों-त्यों आपकी अंतरात्मा में तृप्ति बढ़ती जायेगी, संतोष बढ़ता जायेगा ।*
*🔹जिनको गुरुमंत्र सिद्ध हो गया है उनकी वाणी में सामर्थ्य आ जाता है । नेता भाषण करता है त लोग इतने तृप्त नहीं होते, किंतु जिनका गुरुमंत्र सिद्ध हो गया है ऐसे महापुरुष बोलते हैं तो लोग बड़े तृप्त हो जाते हैं और महापुरुष के शिष्य बन जाते हैं ।*
*🔹अवगम शक्ति : मंत्रजाप से दूसरों के मनोभावों को जानने की शक्ति विकसित हो जाती है । दूसरे के मनोभावों को आप अंतर्यामी बनकर जान सकते हो ।*
*🔹प्रवेश अवति शक्ति : अर्थात् सबके अंतरतम की चेतना के साथ एकाकार होने की शक्ति । अंतःकरण के सर्व भावों को तथा पूर्वजीवन के भावों को और भविष्य की यात्रा के भावों को जानने की शक्ति कई योगियों में होती है । वे कभी-कभार मौज में आ जायें तो बता सकते हैं कि आपकी यह गति थी, आप यहाँ थे, फलाने जन्म में ऐसे थे, अभी ऐसे हैं । जैसे दीर्घतपा के पुत्र पावन को माता-पिता की मृत्यु पर उनके लिए शोक करते देखकर उसके बड़े भाई पुण्यक ने उसे उसके पूर्वजन्मों के बारे में बताया था । यह कथा योगवाशिष्ठ महारामायण में आती है ।*