बेटियों को नया लुक दे रही है पेस्टल इंडिया : गौरी रानी ‘अलका’
बेटियों के महत्व को समझते हुए उन्हें सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार 11 अक्टूबर 2012 को एक दिन बेटियों को समर्पित किया।
नई दिल्ली, 24 सितंबर 2022
समाज में लड़के और लड़कियों के बीच की गहरी खाई को पाटने की पहल संयुक्त राष्ट्र ने की। बेटियों के महत्व को समझते हुए उन्हें सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार 11 अक्टूबर 2012 को एक दिन बेटियों को समर्पित किया। भारत में हर साल सितंबर के आखिरी रविवार को डाटर्स डे मनाया जाता है। देश की बेटियां सशक्त हो इसके लिए सरकारी स्तर से लेकर समाज में कई तरह के काम किए जा रहे हैं। आज आधुनिक समय में लोगों के व्यक्तित्व में पोशाक का महत्व बढ़ा है। बेटियां भी अपनी रुचि के परिधान धारण कर भरपूर आत्मविश्वास से अपने क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़ें, इसके लिए महिला उद्यमी गौरी रानी ‘अलका’ ने पेस्टल इंडिया की स्थापना की।
भारतीय समाज की महिलाओं की आधुनिक पोशाक की जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए कुछ साल पहले पेस्टल इंडिया की स्थापना करने वाली गौरी रानी ‘अलका’ कहना है कि हर कोई, विशेष रूप से महिलाएं अक्सर आईने में देखती हैं कि वे कैसी दिखती हैं। उनके लुक्स में कपड़े बहुत मायने रखते हैं क्योंकि वे अपनी ड्रेस के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहतीं। डिजाइनर कपड़ों का चयन न केवल उनकी सुन्दरता को बढ़ाता है बल्कि उनमें आत्मविश्वास की भावना भी पैदा करता है।
अलका आगे कहती हैं कि आज के आधुनिक समाज में महिलाओं का घूंघट प्रथा में रहना अब इतिहास का विषय हो गया है। रूढ़िवादी विचारधारा की बेड़ियों से महिलाएं अब मुक्त हो चुकी हैं। शिक्षा के सकारात्मक प्रसार से वे जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर रही हैं। जब उनकी पसंद के कपड़े पहनने की बात आती है, तो वे हर तरह से सुन्दर दिखना चाहती हैं। मेरी भूमिका यहां उनकी आकांक्षाओं पर खरे उतरने की है।
महिला उद्यमी अलका आगे बताती हैं कि पसंद- ना- पसंद का कोई हिसाब नहीं होता है और इसके अलावा जो कपड़े किसी को अच्छी तरह से फिट होते हैं वह जरूरी नहीं कि दूसरों को भी अच्छा लगे। शाऱीरिक गठन, रंग, लंबाई और दृष्टि अलग-अलग व्यक्ति के लिए अलग-अलग होती है, इसलिए डिजाइनिंग भी अलग होती है।
पेशेवर प्रतिबद्धता के लिए मशहूर अलका कहती हैं कि पेस्टल इंडिया में शारीरिक माप के साथ, अन्य पहलुओं पर विचार किया जाता है ताकि कोई कैसे शानदार दिखे और दिल बोले ‘वाह’ की भावना पैदा हो।
अपनी समापन टिप्पणी में एक अंग्रेज़ी कहावत का हवाला देते हुए अलका जी ने कहा कि एक महिला तब तक जवान होती है जब तक वह आत्मविश्वास से भरपूर दिखती है। अतः उन पर निर्भर करता है कि वे अपने को कैसे चित्रित करती हैं। किसी की विचार प्रक्रिया के अनुरूप उनके बाहरी व्यक्तित्व को संवारना पेस्टल इंडिया का उद्देश्य है जहां एक महिला अपने रूप-रंग के माध्यम से अपने लुक को नया स्वरूप दे सकती है और शान और गरिमा का जीवन जी सकती है।