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इफ्तार ने दी राजनीति को नई रफ्तार

सियासत में कैमिस्ट्री का बड़ा महत्व होता है. लोग इसे देखकर अपने-अपने अंदाज में इसकी व्याख्या करते हैं.राबड़ी आवास पर नीतीश कुमार जैसे ही पहुंचे, बिहार में सियासी तापमान हदें पार करने लगा.

बिहार: लोकतंत्र की जननी और राजनीति की प्रयोग भूमि, बिहार में हमेशा कुछ न कुछ ऐसा होता रहता है जो देश में सुर्खी बटोरता रहता है.खासकर नीतीश कुमार अपनी राजनीति को किस करवट फिट बैठा दें यह किसी को मालूम नहीं. विगत दो दशक से बिहार में नीतीश कुमार ने कई बार अपने फैसले लेकर सबको चौंका दिया दिया है. एक बार फिर से सारे राजनीतिक कड़वाहट को भूलकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कल तेजस्वी यादव के इफ्तार पार्टी में राबड़ी आवास पर जाकर सबको चौंका दिया. हालांकि इसके माध्यम से नीतीश कुमार ने देश में यह भी संदेश दिया कि समरस समाज और धार्मिक भाईचारा के लिए वे राजनीति या व्यक्तिगत स्वार्थ की परवाह नहीं करते. शायद यही कारण था कि वे पैदल चलकर राबड़ी आवास तक पहुंचे. लेकिन जब सियासत दान मिलते हैं तो सियासत की चर्चा होना लाजमी है. बिहार ही नहीं संपूर्ण देश के राजनीतिक विश्लेषकों का ध्यान इस ओर खींच गया है.

नीतीश कुमार के हर कदम को लोग बड़ा ही गंभीरता से लेते हैं. राजनीति करने वाले जानते हैं कि नीतीश कुमार कोई भी कार्य यूं ही नहीं करते वे जो भी करते हैं उसका असर दूर तलक जाता है.


सियासी पंडित व्याख्या करने में जुट गए हैं. कोई इसे भाजपा पर दबाव की राजनीति के दृष्टिकोण से देख रहा है तो कोई नीतीश की अगली चाल का प्रतीक्षा कर रहा है.पहले राज्यसभा,राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और अब इफ्तार के बहाने तेजस्वी के करीब पहुंचना. महज इत्तेफाक नहीं हो सकता.

फिलवक्त आने वाला समय ही बताएगा कि बिहार की राजनीति में ऊंट किस करवट बैठता है. लेकिन इतना तो तय हो गया है कि चर्चा का बाजार गर्म हो चुका है. लोग तरह-तरह की चर्चाओं पर बात करने लगे हैं.नये समीकरण चौक-चौराहे पर बनने लगे हैं.

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