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राजनीतिक गुलामी से मुक्त हुआ बजट

बजट को राजनीतिक नफा-नुकसान की परवाह के बिना पेश कर सरकार ने दृढ़ता को प्रदर्शित किया। कई मायने में यह बजट देश के लिए समर्पित दिख रहा है।देश हित राजनीतिक हित से ऊपर उठता हुआ दिख रहा है।

समस्तीपुर/सरायरंजन प्रखंड के जितवारपुर कुम्हिरा स्थित बासुदेव रामकिशोर चौधरी महाविद्यालय के अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ रणधीर कुमार मिश्र ने मीडिया को बजट पर सम्बोधित करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2022-23 का जो बजट 1 फरवरी को सदन में पेश किया वह उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में हो रहे चुनाव के मद्देनजर लोकलुभावन होने की जगह देश के विकास को समर्पित है। नरेंद्र मोदी की सरकार ने हमेशा की तरह सबको एक बार पुनः चौका दिया।बजट को राजनीतिक नफा-नुकसान की परवाह के बिना पेश कर सरकार ने दृढ़ता को प्रदर्शित किया।कई मायने में यह बजट देश के लिए समर्पित दिख रहा है।देश हित राजनीतिक हित से ऊपर उठता हुआ दिख रहा है।सरकार आर्थिक सुधारों के प्रति कृतसंकल्पित दिख रही है साथ ही सब्सिडी की राजनीतिक मजबूरी से बाहर निकलने की तड़प भी प्रदर्शित कर रही है।

प्रो.(डॉ) रणधीर कुमार मिश्र

यद्यपि यह भी सच है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में वोट बैंक की चिंता होना लाजिमी है।किंतु वोटबैंक के खातिर देश की आर्थिक विकास प्रभावित हो यह कतई उचित नहीं है।मोदी सरकार ने इस बजट में 80 लाख आवास की चिंता कर अपनी सम्वेदनशीलता का परिचय दिया है वहीं फुड प्रोसेसिंग उद्योग, एमएसएमई को तवज्जो देकर उद्योग एवं रोजगार बढ़ाने पर भी अपना ध्यान केंद्रित रखा।बजट में रक्षा पर 8 प्रतिशत व्यय करने का संकल्प लेकर सरकार ने इसमें किसी तरह की कोताही नहीं बरतने का प्रयास किया है।60 लाख युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की बात युवाओं के लिए थोड़ा निराश करने वाला जरूर है किन्तु कोरोना काल के पश्चात यह बड़ा संकल्प है।
गंगा में नया कृषि कोरिडोर, एमएसपी सीधे किसानों के खाते में देने की बात सरकार के दूरदर्शी सोच को परिलक्षित कर रहा है।
हालांकि मध्यम वर्ग को बजट से थोड़ी निराशा जरूर हुईं होगी क्योंकि सरकार एक बार पुनः देशहित में सबसे बड़ा योगदान की अपेक्षा उन्ही से करती हुई दिख रही है।टैक्स स्लैब में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है वहीं पेट्रोल-डीजल और दैनन्दिनी आवश्यकता वाली जिंसों की महंगाई थोड़ी परेसान करने वाली है, जिसपर सरकार के ध्यान की जरुरत अवश्य है।लब्बोलुआब यह है कि सरकार अपने आर्थिक संकल्प के प्रति दृढ़ता प्रदर्शित करती दिख रही है।

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