अट्ठारह एवं उन्नीस अक्टूबर का खास पञ्चाङ्ग
🌞 *आज का हिन्दू पंचांग*
⛅ *दिनांक 18 अक्टूबर 2021*
⛅ *दिन – सोमवार*
⛅ *विक्रम संवत – 2078 (गुजरात – 2077)*
⛅ *शक संवत -1943*
⛅ *अयन – दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु – शरद*
⛅ *मास -अश्विन*
⛅ *पक्ष – शुक्ल*
⛅ *तिथि – त्रयोदशी शाम 06:07 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
⛅ *नक्षत्र – पूर्व भाद्रपद सुबह 10:50 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद*
⛅ *योग – ध्रुव रात्रि 08:59 तक तत्पश्चात व्याघात*
⛅ *राहुकाल – सुबह 08:02 से सुबह 09:29 तक*
⛅ *सूर्योदय – 06:36*
⛅ *सूर्यास्त – 18:10*
⛅ *दिशाशूल – पूर्व दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण –
💥 *विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *शरद पूर्णिमा* 🌷
➡ *19 अक्टूबर 2021 मंगलवार को शरद पूर्णिमा (खीर चन्द्रकिरणों में रखें) 20 अक्टूबर, बुधवार को शरद पूर्णिमा (व्रत हेतु)*
🌙 *शरद पूर्णिमा रात्रि में चन्द्रमा की किरणों में रखी हुई दूध – चावल की खीर का सेवन पित्तशामक व स्वास्थ्यवर्धक है | इस रात को सुई में धागा पिरोने से नेत्रज्योति बढ़ती है |*
🙏🏻 *स्त्रोत – लोककल्याण सेतु – सितम्बर – २०१६ से*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *नेत्र सुरक्षा के लिए शरद पूर्णिमा का प्रयोग* 🌷
👁 *वर्षभर आंखें स्वस्थ रहे, इसके लिए शरद पूनम की रात को चन्द्रमा की चांदनी में एक सुई में धागा पिरोने का प्रयास करें । कोई अन्य प्रकाश नहीं होना चाहिए ।*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *शरद पूर्णिमा पर अध्यात्मिक उन्नति* 🌷
🌙 *शरद पूनम रात को आध्यात्मिक उत्थान के लिए बहुत फायदेमंद है । इसलिए सबको इस रात को जागरण करना चाहिए अर्थात जहाँ तक संभव हो सोना नही चाहिए और इस पवित्र रात्रि में जप, ध्यान, कीर्तन करना चाहिए ।
📖 *हिन्दू पंचांग संपादक ~ अंजनी निलेश ठक्कर*
📒 *हिन्दू पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)*
*गर्भवती बहनों के लिए वरदान – शरद पूर्णिमा*
शरद पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा की किरणों से अमृत बरसाता है । ये किरणें स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त लाभदायी हैं । इस रात्रि में शरीर पर हल्के-फुल्के परिधान पहनकर चन्द्रमा की चाँदनी में टहलने, घास के मैदान पर लेटने तथा नौका-विहार करने से त्वचा के रोमकूपों में चन्द्र किरणें समा जाती हैं और बंद रोम-छिद्र प्राकृतिक ढंग से खुलते हैं । शरीर के कई रोग तो इन चन्द्र किरणों के प्रभाव से ही धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं ।
इन चन्द्र किरणों से त्वचा का रंग साफ होता है, नेत्रज्योति बढ़ती है एवं चेहरे पर गुलाभी आभा उभरने लगती है । यदि देर तक पैरों को चन्द्र किरणों का स्नान कराया जाय तो ठंड के दिनों में तलुए, एड़ियाँ, होंठ फटने से बचे रहते हैं ।
चन्द्रमा की किरणें मस्तिष्क के लिए अति लाभकारी हैं मस्तिष्क की बंद तहें खुलती हैं, जिससे स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है । साथ ही सिर के बाल असमय सफेद नहीं होते हैं ।
इसी कारण गर्भवती स्त्री का चाँदनी में बैठना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि चन्द्र किरणें उसके रोमकूपों से होकर गर्भस्थ शिशु को पुष्ट करती हैं ।
विशेष – गर्भवती स्त्री शरद पूनम के पहले वाली एकादशी से ही चन्द्र किरणों का लाभ लेना आरम्भ कर दें व चन्द्रमा की किरणें सीधी पेट पर पड़ें इस बात का विशेष ध्यान रखें । चन्द्रमा की किरणों में बैठकर चन्द्रमा का त्राटक करते हुए भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप करें और भावना करते जाएँ कि मेरा गर्भस्थ शिशु चन्द्रमा की अमृतमय किरणों से पुष्ट हो रहा है, दिव्यता से ओतप्रोत हो रहा है, उसपर ईश्वर की कृपा बरस रही है ।
शरद पूर्णिमा की चाँदनी के स्वास्थ्य प्रयोग
शरद पूर्णिमा की शीतल रात्रि को (9 से 12 बजे के बीच) चन्द्रमा की किरणों में महीन कपड़े ढँककर रखी हुई दूध-चावल की खीर वर्षभर आयु, आरोग्य, पुष्टि व प्रसन्नतादायक होती है, अतः इसका अवश्य सेवन करना चाहिए । देर रात होने के कारण कम खायें, भरपेट न खायें, सावधानी बरतें ।
दो पके सेवफल के टुकड़े करके शरद पूर्णिमा को रातभर चाँदनी में रखने से उनमें चन्द्र किरणें और ओज के कण समा जाते हैं । सुबह खाली पेट सेवन करने से कुछ दिनों में स्वास्थ्य में आश्चर्यजनक लाभकारी परिवर्तन होते हैं ।
गर्भवती बहनें नियमित सेवनीय खाद्य सामग्रियों (घी, आँवला, सूखे मेवे आदि) व औषधियों को भी चंद्रमा की किरणों में रखें जिससे ये सभी सामग्रियाँ अधिक बलवर्धक व दिव्य हो जाएँगी ।
250 ग्राम दूध में 1-2 बादाम व 2-3 छुहारों के टुकड़े करके उबालें । फिर इस दूध को पतले सूती कपड़े से ढँककर चन्द्रमा की चाँदनी में 2-3 घंटे तक रख दें । यह दूध औषधिय गुणों से पुष्ट हो जायेगा । सुबह इस दूध को पी लें ।
इस रात्रि में 3-4 घंटे तक शरीर पर चन्द्रमा की किरणों को अच्छी तरह पड़ने दें । इससे त्वचा मुलायम, कोमल व कंचन सी दमकने लगेगी ।