चाणक्य कभी अप्रासंगिक नहीं हो सकते
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वरिष्ठ पत्रकार डॉ रणधीर कुमार मिश्र को प्रतीक चिह्न के साथ सम्मानित करते हुए प्रो नवल किशोर यादव
समग्र संस्कृत विकास समिति के द्वारा संस्कृत और संस्कृति के उन्नयन एवं प्रचार-प्रसार में योगदान देने वालों को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर “भारतीय राष्ट्रीयता तथा अस्मिता के अग्रदूत एवं महान नीतिज्ञ चाणक्य के विचारों का दार्शनिक अध्ययन’ विषय पर एक सेमिनार का भी आयोजन किया गया।
पटना 2 अक्टूबर 2021
निलेश त्रिपाठी की रिपोर्ट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर मनाये जा रहे आजादी के अमृत महोत्सव के तहत पटना के राजेन्द्र नगर राजकीय संस्कृत महाविद्यालय में समग्र संस्कृत विकास समिति के द्वारा संस्कृत और संस्कृति के उन्नयन एवं प्रचार-प्रसार में योगदान देने वालों को सम्मानित किया गया।इस अवसर पर “भारतीय राष्ट्रीयता तथा अस्मिता के अग्रदूत एवं महान नीतिज्ञ चाणक्य के विचारों का दार्शनिक अध्ययन’ विषय पर एक सेमिनार का भी आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का उद्घघाटन कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के प्रतिकुलपति डॉ सिद्धार्थ शंकर सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया जबकि राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य प्रो शिवानन्द शुक्ल के मंगलाचरण से आगत अतिथि अभिभूूूत हुए।
वक्ताओं ने वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में चाणक्य नीति की प्रासंगिकता को एक स्वर से स्वीकार किया।कार्यक्रम के आयोजक मिथिलेश तिवारी ने पाटलिपुत्र की धरती पर चाणक्य की प्रतिमा लगाने की वकालत की तथा कौटिल्य के अर्थशास्त्र को संस्कृत साहित्य का अदद्भुत ग्रंथ बताते हुए कहा कि इसका अध्ययन सभी विश्वविद्यालयों में होना चाहिए।वही नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति के सी सिन्हा ने कहा कि चाणक्य का दर्शन कल्याण कारी भावना पर आधारित है।इसमें राजा कभी भी स्वेच्छाचारी नही हो सकता ।मुख्य वक्ता भगवत शरण शुक्ल ने कहा कि चाण्क्य दर्शन में सरल जीवन ही मानवता का आधार है।राजनीति स्वार्थ आधारित नहीं होना चाहिए।
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इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपनेता सतारूढ़ दल विधान पार्षद प्रो नवल किशोर यादव ने जहाँ चाणक्य की प्रतिभा और उनकी विद्वता को समझने की आवश्यकता पर बल दिया वही संस्कृत एवं संस्कृति की एकरूपता को भी रेखांकित किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता , प्रो आर सी सिन्हा,अध्यक्ष,आई सी पी आर ने किया।जबकि मंच संचालन मुकेश उपाध्याय ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो ज्योतिशंकर सिंह ने किया।
इस अवसर पर प्रो हरिशंकर पांडेय, विभागाध्यक्ष प्राकृत सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी, डॉ जितेंद्र कुमार कुलसचिव पाटलिपुत्र विश्विद्यालय, पटना,प्रो तपन कुमार शांडिल्य, प्राचार्य कॉमर्स कॉलेज पटना, कनक भूषण मिश्रा,प्रो जी आर मिश्र,प्रो दीपक कुमार, प्रो मनोज कुमार, श्री संजय कुमार सिंह उर्फ ललन सिंह, श्री शिवाकांत तिवारी, डॉ रणधीर कुमार मिश्र, अप्सरा मिश्र, श्री निलेश त्रिपाठी, श्री शैलेश त्रिपाठी सहित कई विद्वानों ने अपने विचार साझा किये।इस अवसर पर संस्कृत विकास समिति के सदस्यों सहित सैकड़ों संस्कृत अनुरागी उपस्थित थे।
संस्कृत और संस्कृति के प्रचार- प्रसार में अमूल्य योगदान देने वालों को इस अवसर पर आगत अतिथियों के करकमलों से सम्मानित भी किया गया।