बिहार की मिट्टी से जुड़े हुए समाजवादी राजनेताओं के विचार पाठ्यक्रम से नहीं हटाया जा सकता -विजय कुमार चौधरी
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय छपरा के राजनीतिक विज्ञान के पीजी पाठ्यक्रम से लोकनायक जयप्रकाश नारायण और डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के राजनीतिक विचार एवं दर्शन निकाल ले जाने को सरकार एवं शिक्षा विभाग ने गंभीरता से लिया है। इस मामले को लेकर शिक्षा मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और अपनी बात रखी और कहा है हम किसी भी तरह इस तरह के प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं दे सकते
राज्यपाल ने भी इस समस्या का निदान का भरोसा दिलाया है
जेपी और लोहिया के विचारों की पढ़ाई फिर से पाठ्यक्रम में होगी
पीजी राजनीति शास्त्र पाठ्यक्रम बिहार के महापुरुषों का नाम हटाए जाने के मामले पर बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने आज प्रेस को सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षा विभाग को इस मामले पर निर्देश दिया गया है कि इस मामले का उदाहरण लेते हुए बिहार के विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में किसी भी तरह का बदलाव हुआ है तो उसकी जांच करें।समाजवादी और साम्यवादी विचार का गढ़ है यहाँ। इस संदर्भ में शिक्षा मंत्री ने हिंदी, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र, के पाठ्यक्रमों की जांच का जिम्मा विभाग को सौंपा है। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम में बदलाव के पूर्व शिक्षा विभाग को इसकी सूचना विश्वविद्यालय को देना चाहिए। सरकार इस तरह के गलतियों को सुधारने के लिए पूर्ण रूप से सजग है।
उन्होंने कहा कि मीडिया मामले के उजागर के लिए धन्यवाद का पात्र हैं।गौरतलब है कि जेपी विश्वविद्यालय छपरा के पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया था।
मीडिया ने इस विषय पर जानकारी साझा की जिससे समाज के प्रति मीडिया का जो दायित्व होता है वह सही साबित हुआ है। 2 दिन पूर्व मीडिया में यह मामला आया था प्रकाश में। बिहार के शिक्षा विभाग को इस पाठ्यक्रम में बदलाव की जानकारी नहीं थी । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी समाचार के माध्यम से ही इसकी जानकारी प्राप्त की थी। जिसकी जानकारी उन्होंने मुझे दी थी। जिसके बाद शिक्षा विभाग के अपर सचिव ने इस पूरे मामले की जानकारी जेपी विश्वविद्यालय के वीसी से मांगा मगर जो जवाब दिया गया वह संतोषजनक नहीं था।
यह मामला दो से ढाई साल पुराना है। दो हजार अट्ठारह में पाठ्यक्रम में संशोधन करने को लेकर कमेटी का भी गठन किया गया था। पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर अनुशंसा कमेटी ने किया था। कमेटी की अनुशंसा के आलोक में पाठ्यक्रम में जो संशोधन किया है वह सही नहीं है।
उन्होंने दो टूक कहा कि हम इस पाठ्यक्रम के संशोधन को सही नहीं मानते हैं। बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद से सहमति इस विषय पर नहीं ली गई।राम मनोहर लोहिया एवम जयप्रकाश नारायण के विचार के बगैर समाजवाद के पाठ्यक्रम का कोई महत्व नहीं। इन महापुरुषों के विचार को अलग कर दिया जाए तो उस समाजवाद की पढ़ाई का कोई अहमियत नहीं।
वैसे विश्वविद्यालय शिक्षा विभाग के अधीन नहीं होती है विश्वविद्यालय का नियंत्रण राज्यपाल के अधीन होता है।किन्तु राज्य सरकार विश्वविद्यालय के खर्च को देखती है।