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राष्ट्रीय पशु ही नहीं हमारी धरोहर भी है बाघ: अश्विनी चौबे

विश्व बाघ दिवस के अवसर पर केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य सार्वजनिक वितरण, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोगों से बाघ संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने की अपील की।

– देश के 14 बाघ अभयारण्यों में बिहार के वाल्मीकिनगर भी जहां 32 बाघ है।

– विश्व में सबसे अधिक बाघ भारत में रहते हैं।

– विश्व बाघ दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हुए सम्मिलित।

पटना, 29 जुलाई 2021

केंद्रीय उपभोक्ता मामले खाद्य सार्वजनिक वितरण पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु ही नहीं है। हमारी धरोहर भी है। आज विश्व के 70 प्रतिशत प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले बाघ हमारे देश में है। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड के अनुसार पूरे विश्व में 3890 बाघ बचे हैं जिनमें सबसे ज्यादा 2900 बाघ भारत में है।

केंद्रीय राज्यमंत्री श्री चौबे पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा विश्व बाघ दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि देश के 14 बाघ अभयारण्यों में बिहार के वाल्मीकिनगर भी है, जहां 32 बाघ है। केंद्रीय राज्यमंत्री श्री चौबे ने कहा कि हमारी महान सभ्यता *सर्वे भवंतु सुखिनः* के सिद्धांत पर आधारित है। जिसमें समस्त जीवों और पादपों को समान रूप से महत्व दिया जाता है। हमारे वेदों में इसका परस्पर उल्लेख मिलता है। हम सभी जीवो में ईश्वर का वास देखते हैं। पशु, पक्षी, पेड़, पौधे सनातन काल से हमारे संस्कृति में पूजे जाते रहे हैं। आज पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मना रही है। बाघ को बचाने की जिम्मेवारी हम सभी की है। बाघ परियोजना की अभूतपूर्व सफलता ने अन्य संकटग्रस्त प्रजातियों जैसे कि एशियाई शेर, डॉलफिन एवं चीता के संरक्षण के लिए भी मार्ग प्रशस्त किया है।

श्री चौबे ने कहा कि भारत ने बाघों की जनसंख्या को दुगुना करने का लक्ष्य तय समय सीमा से पहले ही अर्जित कर लिया है। इसके अतिरिक्त पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी की भूमिका निभा रहे हैं। प्रधानमंत्री के ‘डिजिटल इंडिया’ विजन के अनुरूप, मंत्रालय जैवविविधता संरक्षण के लिए उन्नत तकनीक जैसे कि इलेक्ट्रानिक-निगरानी, कैमरा ट्रैप, ड्रोन तथा एम-स्ट्राइप्स (M- Stripes) जिसमें मोबाईल आधारित निगरानी के लिए निरंतर रूप से उपयोग में लाये जाते हैं एवं इन उन्नत तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। बाघ पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो कि खाद्य श्रृंख्ला पिरामिड के शीर्ष पर है। अगर बाघों का संरक्षण सफलतापूर्वक किया जाता हैं तो संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र का सुधार होगा।

उन्होंने इस अवसर पर 14 बाघ अभ्यारण्यों को भी बधाई दी जिनके द्वारा किए गए परिश्रम और उत्कृष्ट कार्य के लिए कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड (Conservation Assured Tiger Standards CA/TS) द्वारा मान्यता दी गयी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने की। इस अवसर पर मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

 

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