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ममता ने लगाई जीत की हैट्रिक तमिलनाडु में डीएमके की जीत जबकि केरल में एलडीएफ और असम में बीजेपी की पुनर्वापसी

भाजपा को बंगाल में अपेक्षित सफलता नहीं मिली

विपक्ष की राजनीति को ममता की जीत से नई संजीवनी

महंगाई और कोरोना भी बना हार का कारण

कोरोना संकट के बीच चुनाव भले ही पाँच राज्यों में हो रहे थे किंतु बंगाल की लड़ाई को भारतीय जनता पार्टी ने प्रतिष्ठा की लड़ाई बना दिया था।परिणाम यह हुआ कि उम्मीद से अधिक उम्मीद पालने के चलते भाजपा बंगाल में जीत कर भी हारती हुई दिख रही है।चार राज्य और एक केंद्र शाषित राज्य में हुए चुनाव में भाजपा ने जहां असम में पुनर्जित हासिल की, वहीं पुडुचेरी में भी भाजपा जीती जबकि बंगाल में पिछले चुनाव के मुकाबले 3 सीट से 75 सीट पर पहुँचते हुए विपक्ष की कुर्सी पकड़ ली है।वहीं कांग्रेस और वाम का बंगाल से सूपड़ा साफ हो गया।केरल से भाजपा को बहुत उम्मीद नहीं था।वहाँ वाम ने दोबारा जीत हासिल कर सबको अवश्य चौंका दिया।

इस चुनाव ने यह जरूर तय कर दिया कि आने वाले दिनों में बंगाल देश की राजनीति को नई दिशा देने की कोशिश अवश्य करेगा।विपक्ष की राजनीति को ममता बनर्जी की जीत ने संजीवनी देने का कार्य अवश्य किया है।भाजपा को भी आर्थिक नीति की समीक्षा करने की जरूरत है।विगत 6 महीने में देश के मध्यम वर्गीय जनता को ऐसा कभी नहीं लगा कि केन्द्र की सरकार उसके लिए चिंतित है।महंगाई शिखर पर है।कोरोना से देश कराह रहा है।लब्बोलुआब यह कि भाजपा को एक बार पुनः मोदी है तो भरोसा है का यकीन देश की जनता को दिलाना होगा।

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