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आज का प्रसंग भगवन्नाम की महिमा

भगवन्नाम की महिमा

प्रस्तुति: पंडित रविशंकर  मिश्र

शहर से कुछ दूरी पर एक बस्ती थी। एक घर में बूढ़ा पिता, उसकी वृद्धा पत्नी तथा दो पुत्र और एक पुत्री केवल पाँच व्यक्ति रहते थे। लड़की बूढ़े की सबसे छोटी संतान थी। उसके पास खेत-खलिहान कुछ भी न था, न ही आय का कोई विशेष साधन था। वह पशुओं के व्यापार में दलाली का काम करता था। कभी कुछ पैसा मिल जाता, कभी नहीं। घर के अन्य लोग जंगल से लकड़ियाँ काटकर शहर में बेचने चले जाते। उसी से घर में खाने-पीने का गुजारा चलता।

ऐसी दशा में पति-पत्नी का संतान पर कोई नियंत्रण नहीं रहा। बच्चे पढ़-लिख भी नहीं सके। वे बहुत बिगड़ गए। निर्धनता और झगड़ालूपन के कारण उनकी शादी भी न हो सकी। बूढ़ा व्यक्ति बड़ी चिंता में रहने लगा। उसे सबसे अधिक चिंता तो पुत्री की शादी की थी। वह सोचने लगा कि कहीं से थोड़ा साधन मिल जाए तो वह लड़की के हाथ पीले कर दे। लड़की के भाइयों ने कुटिलतापूर्वक सोचा कि हम किसी तरह बहिन की शादी किसी अमीर घर के इकलौते लड़के से कर दें और बाद में किसी बहाने बहिन से कहकर उसके पति को मरवा डालें। इससे हमें बहुत-सा धन मिलेगा। तब हम बहिन की शादी भी दूसरी जगह कर देंगे। और स्वयं भी शादी करके आराम से जीवन व्यतीत करेंगे।

एक-दो माह भागदौड़ करने के पश्चात उन्हें एक धनिक व्यक्ति मिल गया। भाईयों ने पैंतीस वर्ष के एक पड़ोसी को अपना बहनोई बनाया और उससे दो हजार रुपया ले लिया। उन्होंने बहिन की शादी कर दी और विदा करते हुए समझा दिया कि वह शीघ्र ही किसी तरह पति का काम तमाम कर दे। बहिन विदा हो ससुराल चली गयी। उन लोगों में यही रीति थी कि विवाह के दूसरे या तीसरे दिन लड़की उसका पति माँ-बाप और सास-ससुर से मिलने वापस आते हैं। इसलिए शादी के तीसरे दिन उनकी बहिन पति को साथ लेकर मायके के लिए चल पड़ी। रास्ते में उसने प्यास का बहाना बनाकर पति से कहा-”आप तो घोड़े की तरह दौड़कर चल रहे हैं। मैं तो थक गई हूँ। प्यास भी बड़ी जोर से लगी है। चलो उस कुएं पर चलकर बैठते हैं।”

पति, पत्नी की कुटिल चाल से अपरिचित था। पति ने पानी खींचने के लिए कुआं पर रखा बर्तन कुएं में डाला। पत्नी ने पानी खींचते पति को जोर से धक्का मारा। बेचारा पति धक्का खाकर कुएं में जा गिरा। मरा हुआ समझकर वह सिर पर पैर रखकर मायके भाग गयी। ससुराल से सारा सोना-चाँदी, रुपया-पैसा वह पहले ही अपने साथ बाँध लायी थी। उसे अकेला आया हुआ देखकर भाई बहुत प्रसन्न हुए।

मरने वाले से बचाने वाला बड़ा है। उसी की कृपा थी कि कुएं में गिरा व्यक्ति तैरना जानता था। वह काफी समय तक कुएं में तैरता रहा। इसके पश्चात उसकी आवाज सुनकर राह जाते प्यासे राहियों ने उसे बाहर निकाला। उसने कपडऋ़ सुखाए और ससुराल को चल पड़ा। जब वह शाम के समय ससुराल पहुँचा तो उसकी पत्नी-दोनों साले उसे जीवित देखकर हैराल रह गए। पति ने ऐसा प्रकट किया कि जैसे वह पाँव फिसलने से स्वयं ही कुएं में गिरा हो। उसकी पत्नी के मन का भय दूर हो गया। पति ने अगले दिन पत्नी को ससुराल से विदा कराया और वापस घर ले आया। उसने पत्नी पर मन का शक किसी भी तरह प्रकट नहीं होने दिया। समय के साथ उसका पति के साथ प्रेम-लगाव बढ़ता ही गया। कई साल बीत गए। उसके दो लड़के भी हो गए। पति-पत्नी का जीवन संताल की प्रेम ममता में दूध-पानी जैसा मिलकर एकाकार हो गया। पिछली बातों को वे लगभग दोनों भूल बैठे।

दोनों पुत्र जवान हो गए। पति-पत्नी ने बड़े चाव से उनका विवाह किया। उन दोनों के बच्चे पैदा हुए। पति-पत्नी अपने भरे-पूरे परिवार को देखते तो बड़े खुश और संतुष्ट होते। इस सबके लिए वह भगवान का बहुत कृतज्ञ था। वह अब प्रतिदिन सुबह ही नहा-धो लेता और घंटों ईश्वर की पूजा-उपासना करता रहता। वह पूजा करते समय राम-राम मंत्र का उच्चारण करता। उसकी बड़ी पुत्रवधू जब इस मंत्र को सुनती तो उसे बड़ा आश्चर्य होता। उसने एक दिन ससुर से पूछा-पिताजी! आप राम नाम का इतना जाप क्यों करते हैं? उसने बताया-बहू! भगवान से बड़ी शक्ति उनके नाम में है। भगवान ने स्वयं आकर तो किसी एक-आध को ही बचाया होगा, परंतु उनका नाम तो नित्यप्रति लाखों-करोड़ों का उद्धार करता रहता है। रामनाम में असीम शक्ति है। इसने न केवल मेरी जान बचायी है, मुझे क्रोध, झगड़ा, गाली-गलौज, अशांति और न जाने कितनी ही बुराइयों से बचाया है। रामनाम जपने का अर्थ है कि कभी किसी की बुराई को न उछालना। जीवन सदा शांति में बीतेगा। उसकी पत्नी ने सुना व ऐसे पति का साहचर्य पाकर उसने अपने आपको बड़ा भाग्यशाली माना। कैसे वह पतिहंता होते हुए क्षमा कर दी गयी। यह सोच-सोचकर आँसू बहने लगे।

अखंड ज्योति अप्रैल 1999

भगवान श्री कृष्ण की 16 कलाओ का वर्णन
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1 अनुग्रह (उपकार) 2, इसना (प्रभाव)
3, प्रहवि (विनयशील 4, योग (चित्तलय)
5, सत्य (यथार्थ वचन) 6, क्रिया (कर्मण्यता)
7, ज्ञान (विवेकवान) 8,, श्री (धन)
9, भू (शासन) 10, कीर्ति (यश)
11, इला (वाणी) 12, लीला (आनन्द)
13, कांति (सौन्दर्य) 14, विद्ध्या(प्रतिभा)
15, विमला (समभाव) 16,उत्कर्षिणि(नाय्क्त्व)
राष्ट्र संत शिरोमणि पूज्य प्रभूद्त्त ब्रह्मचारी जी संकलन कर्ता:- केप्टन हरिहर शर्मा, मथुरा

कुछ वास्तुशास्त्र के नियम ,अवश्य आजमाएं

💥१. घर में सुबह सुबह कुछ देर के लिए भजन अवशय लगाएं ।

💥२. घर में कभी भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखें, उसे पैर नहीं लगाएं, न ही उसके ऊपर से गुजरे अन्यथा घर में बरकत की कमी हो जाती है। झाड़ू हमेशा छुपा कर रखें |

💥३.बिस्तर पर बैठ कर कभी खाना न खाएं, ऐसा करने से धन की हानी होती हैं। लक्ष्मी घर से निकल जाती है1 घर मे अशांति होती है1

💥४. घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखेर कर या उल्टे सीधे करके नहीं रखने चाहिए इससे घर में अशांति उत्पन्न होती है।

💥५. पूजा सुबह 6 से 8 बजे के बीच भूमि पर आसन बिछा कर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर करनी चाहिए । पूजा का आसन जुट अथवा कुश का हो तो उत्तम होता है |

💥६. पहली रोटी गाय के लिए निकालें। इससे देवता भी खुश होते हैं और पितरों को भी शांति मिलती है |

💥७.पूजा घर में सदैव जल का एक कलश भरकर रखें जो जितना संभव हो ईशान कोण के हिस्से में हो |

💥८. आरती, दीप, पूजा अग्नि जैसे पवित्रता के प्रतीक साधनों को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं।

💥९. मंदिर में धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड की सामग्री दक्षिण पूर्व में रखें अर्थात आग्नेय कोण में |

💥१०. घर के मुख्य द्वार पर दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं

💥११. घर में कभी भी जाले न लगने दें, वरना भाग्य और कर्म पर जाले लगने लगते हैं और बाधा आती है | 💥१२. सप्ताह में एक बार जरुर समुद्री नमक अथवा सेंधा नमक से घर में पोछा लगाएं | इससे नकारात्मक ऊर्जा हटती है

💥१३. कोशिश करें की सुबह के प्रकाश की किरणें आपके पूजा घर में जरुर पहुचें सबसे पहले |

💥१४. पूजा घर में अगर कोई प्रतिष्ठित मूर्ती है तो उसकी पूजा हर रोज निश्चित रूप से हो, ऐसी व्यवस्था करे |

“पानी पीने का सही वक़्त”. (1) 3 गिलास सुबह उठने के बाद, …..अंदरूनी उर्जा को Activate करता है…

(2) 1 गिलास नहाने के बाद, ……ब्लड प्रेशर का खात्मा करता है…

(3) 2 गिलास खाने से 30 Minute पहले, ……..हाजमे को दुरुस्त रखता है.

. (4) आधा गिलास सोने से पहले, ……हार्ट अटैक से बचाता है..

 

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