आज का प्रसंग नंदगांव की लठामार होली
*नंदगांव लठामार होली: चंदा छिप मत जइयौ आज, श्याम संग होरी खेलूंगी, हुरियारों पर गोपियों ने बरसाईं प्रेम पगी लाठियां*
प्रस्तुति:पंडित रविशंकर मिश्र
नंदगांव(मथुरा)-
बरसाना की होली के अगले दिन यानि बुधवार को नंदगांव में एक बार फिर भक्तों ने लठामार होली का आनंद लिया। अबकी बार होली कन्हैया के गांव में खेली गई। हुरियारे बने थे श्रीजी के गांव के गोप। बरसाना में खेली गई होली के परिणामस्वरूप बरसाना के सखी स्वरूप ग्वाल होली का फगुवा मांगने आए। नंदगांव में हुरियारों ने जमकर धमाल मचाया। शाम होते ही हुरियारे ढालों को लेकर नंदगांव की गलियों में मार खाने के लिए निकल पड़े। हुरियारिनों ने प्रेम पगी लाठियों से उनका स्वागत किया। इस दौरान हुए समाज गायन में चंदा छिप मत जइयौ आज, श्याम संग होरी खेलूंगी आदि पद गाए गए।
दोपहर को हुरियारे राधा स्वरूप पताका को लिए यशोदा कुंड पहुंचे। लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया। सभी ने पाग बांधकर लठामार होली के लिए अपने को तैयार किया। हुरियारों ने पिस्ता, बादाम, रबडी आदि की चकाचक भांग छानी। बरसाने वाले भूरे के मोहल्ले से हंसी-ठिठोली करते नंदभवन पहुंचे। इसी बीच वे राह में मिलने वाली हुरियारिनों से जमकर हंसी-ठिठोली भी करते गए। नंद के जमाई की जय बोलते हुए गुजरे। वे नंदभवन पहुंचे तो वहां नंदबाबा के साथ ही उनके पूरे परिवार के दर्शन किए। हुरियारों ने नंदबाबा को शिकायत दर्ज कराई कि एक दिन पूर्व नंदगांव के हुररियारे बरसाने में बिना फगुवा दिए लौट आए हैं।
नंदगांव के ग्वालों ने बरसाना के हुरियारों पर पिचकारी, बाल्टियों से टेसू के फूलों के रंग से सराबोर कर दिया। चारों ओर नंदभवन में विभिन्न रंगों की सतरंगी छटा छा गई। नंदगांव-बरसाना के समाजियों ने कृष्ण-बलराम के विग्रहों के सामने संयुक्त समाज गायन किया। इस दौरान वे बरसाने की गोपी फगुवा मांगन आईं, कियौ जुहार नंद जू कौ भीतर भवन बुलाईं। फगुवा मिस ब्रज सुंदरी जसुमति ग्रह आईं, तब ब्रजरानी बोल कैं रावर में लीनी आदि पदों का गायन किया। फिर शुरू हुई विश्व प्रसिद्ध लठामार होली।शाम के साढ़े पांच बजे रंगीली चौक पर हजारों हुरियारे और हुरियारिन जमा हुए। उन्होंने नृत्य व गायन किया। संध्या को समाजियों का आदेश हो जाने पर प्रेम पगी लाठियों की बारिश शुरू हो गई। लोग छतों से यह नजारा देख लालायित हो रहे थे।
*फगुवा लेने आते हैं नंदगांव*
कृष्णकाल में भगवान श्रीकृष्ण फागुन सुदी नवमी को होली खेलने बरसाना गए और बिना फगुवा (नेग ) दिए ही वापस लौट आए। बरसाना की गोपियों ने कन्हैया से होली का फगुवा लेने के लिए नंदगांव जाने की सोची। इसके लिए राधाजी ने बरसाना की सभी सखियों को एकत्रित किया और बताया कि कन्हैया बिना फगुवा दिए ही लौट गए हैं। हमें नंदगांव चलकर उनसे फगुवा लेना है। बस फिर क्या, अगले दिन ही यानि दशमी को बरसाना की ब्रजगोपियां होली का फगुवा लेने नंदगांव गईं।
*हंसी ठिठोली के लिए मांगी माफी*
लठामार होली से पूर्व हुरियारों ने गली-गली घूमकर हुरियारों से जमकर हंसी ठिठोली की। ठिठोली से उकसी हुरियारिनों ने बरसाना के हुरियारों पर प्रेम पगी लाठियों से प्रहार किया। गोपियों से लाठियों की मार खाकर भी हुरियारे मतवाले बने रहे। हुरियारे मस्ती में कहते हैं कि तनक और दै भाभी, अबई मन नाय भरयौ। लठामार होली के समापन के दौरान हुरियारिनों के पैर छूकर क्षमा प्रार्थना की।