जदयू अपने जड़ को और मजबूत करने की जुगत में
डॉ रणधीर कुमार मिश्र
पटना 2:3:2021
आम तौर पर चुनाव के पश्चात राजनीतिक दलों में कुछ समय के लिए निष्क्रियता की स्थिति सी आ जाया करती थी।किन्तु बिहार में इस बार के विधानसभा चुनाव के बाद भी निरन्तर राजनीतिक दलों में सक्रियता देखी जा रही है।सांगठनिक तौर पर भाजपा पहले से कुछ न कुछ करती रही है।मुख्य विपक्षी राजद, कांग्रेस और वामपंथी भी एक दूसरे से होड़ में आगे निकलने की कोशिश निरन्तर कर रहे हैं।वामपंथी दलों में तो नई जान सी आ गई है।जाप पूर्व की भांति अपनी उपस्थिति बनाए हुए है।हम और वीआईपी भी उत्साहित है।
इन सबके बीच सत्ताधारी पार्टी जदयू की कार्यशैली में आमूल चूल परिवर्तन होता दिख रहा है।जनता दल यू में सर्वप्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर आर सी पी सिंह को आसीन किया गया वहीं बिहार जदयू राज्याध्यक्ष के पद पर उमेश कुमार सिंह कुशवाहा को बैठाया गया है। यानि जदयू अपने पारम्परिक कोर वोटर लव कुश समीकरण को पुख्ता करते हुए संगठन को धारदार बनाने में जुटी है।आर सी पी सिंह की अगुवाई में जदयू ने सवर्णों को भी अपने साथ जोड़ने की कवायद तेज कर दी है। दरअसल आर सी पी यह भली भांति जानते हैं कि नीतीश सरकार के प्रशंसकों की सवर्णों में कोई कमी नहीं है।इस बार के विधानसभा चुनाव में उत्तर बिहार में अतिपिछड़ा और सवर्ण गठजोड़ जिस तरह से एनडीए को वोट किया वह उनके जेहन में भलीभांति है, शायद यही कारण है कि जदयू ने डॉ नीतीश टनटन के नेतृत्व में सवर्ण प्रकोष्ठ का गठन किया है।राजनीतिक दलों के लिए यह बड़ा सन्देश है कि सवर्णों को भी अब वोट बैंक की नजर से देखा जाने लगा है।पार्टी विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से कार्यकर्त्ताओ को सक्रिय रख रही है।
जनता दल यू ने नीतीश कुमार के जन्मदिन को विकास दिवस के रूप में जिस तरह से मनाया है वह इससे पूर्व कभी नहीं देखा गया था।वैसे तो बिहार में नीतीश कुमार की छवि पूर्व से ही विकास पुरूष की रही है किंतु आर सी पी सिंह की अगुवाई में इस बार 1 मार्च को जदयू के सभी कार्यकर्ताओं ने जिस उत्साह से जन्मदिन को मनाया है वह जद यू के जड़ की गहराई का एहसास करा गया।यह आर सी पी सिंह की कुशल कार्यशैली को दर्शाता है।
लब्बोलुआब यह कि पार्टियां अब चुप बैठने वाली नहीं है।इस चुनाव ने यह सिद्ध कर दिया कि जिस दल की कार्यकर्ता पर जितनी पकड़ होगी वह दल उतना ही मजबूत होगा।