एकात्म मानव-दर्शन ” आधारित मॉडल से ही होगा विश्व कल्याण
दीनदयाल की शिक्षा, राष्ट्र व मानव – कल्याण संबंधी चिंतन- धारा पाठ्यक्रमों में शामिल हो : डा ध्रुव कुमार
53वीं पुण्यतिथि पर पटना ट्रेनिंग कॉलेज में विशेष व्याख्यान आयोजित
पटना । ” देश की प्रगति के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय के ” एकात्म मानव-दर्शन ” पर आधारित विकास मॉडल को अपनाना होगा और संयमित उपभोग ही इस मॉडल का आधार होगा, क्योंकि अति उपभोगवाद और बाजारवाद का रास्ता कभी भी कल्याणकारी नहीं हो सकता।”
यह बातें नालंदा कॉलेज के बीएड विभागाध्यक्ष व पटना विश्वविद्यालय शिक्षा संकाय सदस्य डॉ ध्रुव कुमार ने गुरुवार को पटना ट्रेनिंग कॉलेज में कहीं।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 53 वी पुण्यतिथि पर आयोजित ” पंडित दीनदयाल उपाध्याय का शिक्षा दर्शन ” विषयक व्याख्यान को संबोधित करते हुए डा ध्रुव ने कहा कि व्यक्ति और समाज का पहला संबंध शिक्षा के रूप में ही सामने आता है, इसे पहली बार पंडित दीनदयाल उपाध्यय ने दुनिया के समक्ष रखा।
व्यक्ति के पैदा होते ही समाज शिक्षा देना प्रारंभ कर देता है। शिक्षा और संस्कार से ही बच्चा समाज का अभिन्न घटक बनता है। बच्चे को शिक्षा देना समाज के हित में है, इसलिए वे नि:शुल्क शिक्षा व्यवस्था के पक्षधर थे।
डा ध्रुव ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की शिक्षा, राष्ट्र और मानव – कल्याण संबंधी चिंतन- धारा को बीएड -एमएड कोर्स सहित विभिन्न पाठ्यक्रमों में शामिल करने की आवश्यकता जताई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पटना ट्रेनिंग कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ आशुतोष कुमार ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय की नजर में राष्ट्रीयता कोई कृत्रिम वस्तु नहीं है, यह स्वाभाविक प्रवृत्ति है और राष्ट्रवाद ही प्रगति का आधार है।
पटना विश्वविद्यालय के सीनेटर व गौरी ब्रम्हानंद टी टी कॉलेज के प्राचार्य डॉ कुमार संजीव ने कहा कि आधुनिक दौर में दीनदयाल उपाध्याय के विचार दर्शन को आधार बनाकर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों यथा अर्थव्यवस्था, समाजशास्त्र, शिक्षा, उद्योग, टेक्नोलॉजी आदि विभिन्न क्षेत्रों में छोटे-छोटे प्रयोग कर उसकी सफलता से समाज को लाभान्वित करने की आवश्यकता है।
इससे पूर्व अतिथियों ने दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पर माल्यर्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर पटना ट्रेनिंग कॉलेज के शिक्षक ऋषिकेश बहादुर, राज लक्ष्मी, वंदना सिंह, अमित कुमार, राकेश कुमार व डा राज कमल भी मौजूद थे।