कुछ भी बोलते हैं सुशील मोदी ! किसान आंदोलन पर-शिवानन्द तिवारी
उनका ताज़ा आरोप है कि कांग्रेस पार्टी उसको पैसा दे रही है. इसके पहले उन्होंने कहा था कि इस आंदोलन के पीछे खलिस्तानी आतंकवादियों का हाथ है. रोज़ बोलने की आदत ने सुशील जी के व्यक्तित्व को अगंभीर बना दिया है.
सुशील जी जब बिहार सरकार के उप मुख्यमंत्री थे उसी काल में मोदी सरकार ने हमारी कृषि के चरित्र में आमूलचूल बदलाव वाले तीनों क़ानून बनाए. हम समझते हैं कि सुशील जी इतना ज़रूर जानते हैं कि हमारी संवैधानिक
व्यवस्था के मुताबिक़ कृषि का क्षेत्र राज्य सरकारों के अधिकार के अंतर्गत आता है. सुशील जी से हम जानना चाहते हैं इन क़ानूनों को अध्यादेश के रूप में लाने के पहले केंद्र सरकार ने क्या राज्य सरकार से सहमति ली थी ! हम सुशील जी यह भी समझना चाहते हैं कि इन क़ानूनों के लिए अध्यादेश जैसे आपातकालीन व्यवस्था के प्रयोग की हड़बड़ी क्या थी ! इतनी हड़बड़ी कि उक्त बील पर सम्यक विचार के लिए उसे प्रवर समिति में भी ले जाने तक के लिए सरकार तैयार नहीं हुई !
दिल्ली की सीमाओं को घेर कर बैठे किसानों का यह आंदोलन अभूतपूर्व है. आज़ाद भारत में ऐसा आंदोलन कभी नहीं देखा गया. मोदी जी की सरकार की ही नहीं बल्कि प्रकृति की कठोर परीक्षा भी किसानों मनोबल को नहीं डिगा पाया है. इसलिए किसानों के इस ऐतिहासिक आंदोलन को बदनाम करने की, सुशील जी और उनके जैसे अन्य नेताओं की चेष्टा प्रलाप से ज़्यादा अहमियत नहीं रखती है।